Edited By Updated: 22 Mar, 2017 08:17 AM
अबोहर-फाजिल्का मार्ग नं. 10 हाईवे मार्ग को फोरलेन बनाने के लिए लोक निर्माण विभाग द्वारा तीसरे दिन भी पीले पंजे से लोगों की दुकानों व घरों को ढाने का काम जारी रहा।
अबोहर (रहेजा): अबोहर-फाजिल्का मार्ग नं. 10 हाईवे मार्ग को फोरलेन बनाने के लिए लोक निर्माण विभाग द्वारा तीसरे दिन भी पीले पंजे से लोगों की दुकानों व घरों को ढाने का काम जारी रहा। सड़क के दोनों ओर गिरे हुए मकानों को देखकर ऐसा लग रहा था कि बहुत भयंकर भूचाल आया है। पीड़ित लोगों ने कहा कि सरकार उनको कब्जाधारी मानकर किसी प्रकार की मदद नहीं कर रही है। पिछले तीन दिनों से वे सड़क किनारे रात गुजारने को मजबूर हैं क्योंकि उनके लिए पुनर्वास का अभी तक कोई प्रबंध नहीं किया गया है।
जानकारी देते हुए पीड़ित हरीश धींगड़ा, वीना रानी, प्रेम कुमार, बलजीत सिंह, राजिन्द्र सिंह, अशोक कुमार, आरती, भगवान दास आदि परिवारों ने बताया कि लोक निर्माण विभाग व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा गलत पैमाइश करने की वजह से ही उनका निर्माणाधीन मकान व दुकानें गिरा दी गई हैं, जिससे वे बेघर हो गए हैं। लोक निर्माण विभाग द्वारा समय-समय पर दिए गए नोटिसों में भारी त्रुटियां हैं। सबसे पहले उन्हें दो फीट जगह कब्जे का नोटिस भेजा गया था लेकिन अब करीब 50 फीट जगह को अवैध बताकर तोड़ दिया गया है।
लाठियों से डरा कर छुड़ाया 60 वर्ष पुराने घरों का कब्जा
इस संबंधी रोष जताते हुए पीड़ितों ने बताया कि प्रशासनिक अधिकारी भारी पुलिस बल के साथ उन्हें डरा-धमकाकर उनके 60 वर्ष पुराने घरों को अवैध बताकर गिरा रहे हैं। महिलाओं से पुलिस अधिकारियों द्वारा बदसलूकी से पेश आया जा रहा है। मदद के लिए कोई नहीं आया आगे पीड़ितों के अनुसार करीब 2 माह पूर्व हुए विधानसभा चुनावों के दौरान सभी पार्टियों के नेताओं ने उन्हें आंच नहीं आने देने के बड़े-बड़े दावे किए थे लेकिन अब कोई राजनीतिक दल से संबंधित नेता उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया है। बार-बार मदद मांगने के बावजूद भी नेताओं द्वारा उनकी मदद के लिए आनाकानी की जा रही है।
लोग ढहाने लगे हाथों से बनाई इमारतें
लोक निर्माण विभाग के दिए गए नोटिसों को नजरअंदाज करने के बाद विभाग द्वारा की जा रही कार्रवाई से सहमे हुए पीड़ित अब खुद ही अपने द्वारा बनवाई गई इमारतें ढहाने लगे हैं। जिक्रयोग्य है कि जे.सी.बी. की सहायता से ढहाई जा रही इमारतें पूरी तरह से ही तबाह हो गई हैं। रात्रि 10 बजे तक लोग लाइट न होने के बावजूद भी जैनरेटर की सहायता से लाइट जलाकर इमारतें गिराने में लगे हुए थे।