Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Nov, 2017 08:20 AM
‘कह के गिया सी फर्नीचर ते होर समान लिआणा है। सामान ते आ गिआ पर ओह आप नहीं आया’ इतना कहते हुए साहिल के पिता ए.एस.आई. रूपिन्द्र सिंह रोते बिलखते घर के दरवाजे की तरफ जाते हैं और उनके रिश्तेदार, दोस्त उन्हें पकड़ कर वापस बिठाते हैं।
जालंधर(प्रीत) : ‘कह के गिया सी फर्नीचर ते होर समान लिआणा है। सामान ते आ गिआ पर ओह आप नहीं आया’ इतना कहते हुए साहिल के पिता ए.एस.आई. रूपिन्द्र सिंह रोते बिलखते घर के दरवाजे की तरफ जाते हैं और उनके रिश्तेदार, दोस्त उन्हें पकड़ कर वापस बिठाते हैं। ऐसा गमगीन माहौल है गत दिवस सड़क दुर्घटना में मारे गए चचेरे भाइयों साहिल व हरसिमरन के घर का।साहिल व हरसिमरन के परिवार की तो ठीक, उनके घर आने वाले हर शख्स, दोस्त, रिश्तेदार, पड़ोसी, गांववासी की आंखें नम थीं। ऐसा गमगीन माहौल बना हुआ था कि शोक जताने आने वाले लोगों के पास पीड़ित परिवार को सांत्वना देने के लिए मुंह से शब्द तक नहीं निकल रहे थे। बेटे कर्मदीप उर्फ साहिल व भतीजे हरसिमरन की मौत के बाद ए.एस.आई. रूपिन्द्र सिंह और एस.आई. तेजिन्द्र सिंह टूट चुके हैं। पुलिस विभाग में बेहद नर्म स्वभाव के लिए जाने जाते ए.एस.आई. रूपिन्द्र सिंह रह-रह कर उठकर बाहर निकलते और रिश्तेदार, यार-दोस्त उन्हें पकड़ कर वापस लाते। घर आने वाले हर एक व्यक्ति को वह बताते कि साहिल सामान लेने गया है।
सामान तो आ गया लेकिन वह नहीं आया’ इतना कहते ही बिलख पड़ते हैं। रोते-रोते रूपिन्द्र कई बार बेसुध भी हो गए। उनकी हालत देखते हुए डाक्टर को भी जांच के लिए बुलाया गया। लगभग ऐसे ही हालात पूरे परिवार के हैं। सारा परिवार जवान बच्चों का नाम ले-लेकर बेसुध हो रहा है। एक रिश्तेदार ने बताया कि हरसिमरन की सगाई के लिए सारा परिवार इकट्ठा हुआ था। सारा परिवार बेहद खुश था लेकिन किसे पता था कि खुशियां एक दिन भी नहीं रहेंगी।
विधिपुर गांव में मातम, पसरा सन्नाटा, हर आंख नम
नौजवान चचेरे भाइयों की मौत से विधिपुर में सन्नाटा पसरा हुआ है। अजीब सी शांति है विधिपुर में। साहिल और हरसिमरन की मौत के बाद गांव के हर वासी की आंख नम है। गांव का हर व्यक्ति समय-समय पर पीड़ित परिवार के घर जाकर उन्हें सांत्वना देने की कोशिश कर रहा है। एक ओर जहां गांव वासी पीड़ित परिवार के दुख में शामिल थे, वहीं दूसरी ओर वह नगर निगम और हाईवे अथारिटी को कोस रहे थे। लोगों का कहना है कि हाईवे पर आवारा पशुओं का घूमना कोई नई बात नहीं है। रोजाना मामूली दुर्घटनाएं होती रहती हैं। लेकिन इस दुर्घटना ने तो 2 परिवारों के चिराग ही बुझा दिए। लोगों का कहना है कि सड़कों पर घूमने वाले पशुओं की समस्या को हल करने के लिए संबंधित विभागों को ठोस कदम उठाने चाहिएं।