इन 2 भाईयों की छोटी सी कोशिश ने बदल दी 30 हजार किसानों की जिंदगी

Edited By Updated: 25 May, 2017 11:10 AM

farmers are ditching middlemen selling their produce online

विदेश से लौटे 2 भाईयों ने किसानों की दशा सुधारने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। उन्हीं के प्रयत्नों का परिणाम है कि आज किसान अपनी फसल को सही मूल्यों पर प्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ताओं से सम्पर्त साधकर आनलाइन बेच रहे हैं। यह सफर शुरू होता है सूबेदार मेजर...

अमृतसरः विदेश से लौटे 2 भाईयों ने किसानों की दुदर्शा सुधारने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। उन्हीं कोशिशों का नतीजा है कि आज किसान अपनी फसल को सही मूल्यों पर प्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ताओं से सम्पर्क साधकर आनलाइन बेच रहे हैं। यह सफर शुरू होता है सूबेदार मेजर बलकार सिंह संधू से,जिन्होंने 2008 में सेवा-निवृत्त होने के बाद अमृतसर में स्थित अपने पैतृक गांव में जाकर खेती करने का फैसला किया। गांव लौटने पर 40 एकड़ जमीन के मालिक बलकार सिंह ने देखा कि छोटे किसान बिचौलियों के अत्याचारों से परेशान हैं। कर्ज न उतार पाने के कारण कई किसान मौत को गले लगा रहे हैं।

किसानों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए उन्हें किसान संघर्ष कमेटी अमृतसर तथा तरनतारन का प्रधान बनाया गया। उन दिनों उनका सॉफ्टवेयर इंजीनियर बेटा पवित्र पाल सिंह विदेश में था। वह अकसर मां से अपने पिता के खेती के अनुभवों के बारे में सुनता था। उसके जीवन में  2014 में उस दिन नया मोड़ आया जब उसने सुना कि उनके पिता के नेतृत्व में 3 दिनों से मांगों को लेकर रेलवे ट्रैक पर विरोध कर रहे एक किसान की ट्रेन के नीचे आने से मौत हो गई। इस घटना के बाद उसने अपने पिता का साथ देने का फैसला किया। इसमें उसका साथ दिया उसके रिश्ते में लगते भाई हरजाप सिंह ने,जोकि विदेश जाने से पहले खेती करता था। 

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दोनों भाईयों ने मिलकर डेढ़ वर्ष तक भारत के दौरा कर किसानों की समस्याओं और कारणों को जानने का प्रयास किया। इसके बाद वह इस नतीजे पर पहुंचे कि किसानों की खराब हालत के लिए 2 कारण जिम्मेदार हैं। पहला कारण  था कि किसान उपभोक्ताओं के साथ सीधा संपर्क न होने के कारण अपनी फसल का मूल्य निर्धारित नहीं कर पाते थे। वहीं दूसरा कारण था भंडारण की कमी। इस कारण वह अपनी फसल बिचौलियों / एजेंटों को बेचने को मजबूर थे। उन्होंने मिलकर 20 सदस्यों की टीम बनाई जो छोटे गांवों में जाकर पंचायत तथा किसानों को सीधे उपभोक्ता के साथ जुड़ने के बारे में बताते थे।

उनके इन्हीं प्रयासों के कारण 30 हजार किसान उनसे जुड़ गए हैं। कोशिशों को सफल होता देख अगस्त 2016 में उन्होंने वैबसाइट लांच की जोकि किसानों को सीधे तौर पर उपभोक्ताओं से जोड़ती है।अब उपभोक्ता तथा किसान सीधे तौर पर एक-दूसरे से संपर्क साधकर वस्तुओं का क्रय-विक्रय करते हैं।पवित्र सिंह के मुताबिक कर्ज माफ करना या अन्य सुविधा देना किसानों की समस्याओं का हल नहीं है। किसान कड़ी मेहनत कर कर्ज अदा करने के लिए तैयार हैं। बस उन्हें अपने उत्पादन की सही कीमत चाहिए ।  किसानों से  सम्पर्क साधने के लिए कोई भी इस वैबसाइट  info@farmerfriend.in पर जानकारी हासिल कर सकता है। 

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