Edited By Updated: 18 Jan, 2017 11:50 AM
चुनाव के बाद बनने वाली सरकार से उम्मीद रखते हुए गायक कलेर कंठ का कहना है
चुनाव के बाद बनने वाली सरकार से उम्मीद रखते हुए गायक कलेर कंठ का कहना है कि मेरे सपनों का पंजाब ऐसा खुशहाल पंजाब है जहां सामाजिक बराबरी से हर वर्ग नशा मुक्त तथा खुशी भरे चेहरों के साथ जीवन व्यतीत करता है पर सपनों से बाहर के पंजाब में अभी तक सामाजिक बराबरी नहीं आ सकी है। आज का दौर आधुनिकता के साथ-साथ नशों का भी है। मैंने स्वयं नशा छुड़ाओ केंद्रों का कई बार दौरा किया है जहां नशा छोडऩे हेतु आए लोगों को मैंने नशा छोडऩे के लिए प्रेरित किया है।
मेरा मानना है कि घर का अगर एक भी सदस्य नशा करता है तो समझा जाता है किपूरा घर नशे की चपेट में है क्योंकि नशे जैसी बुराई ही क्राइम को बढ़ावा देती है। आज जरूरत है राज्य में फैले नशों पर रोक लगाने की। सरकार कोई भी हो, वह नशे पर रोक लगाने हेतु ठोस कदम उठाए। पंजाब से विदेशों में जा कर बसे पंजाबियों की अगर बात की जाए तो विदेशों में वे सारे नियमों का पालन करते हुए टैक्स अदा करते हैं व 18 से 20 घंटे काम करते हैं। खुद को शुरूआती दौर मेें स्थापित करने के लिए वे हरसंभव प्रयास करते हैं। अगर वे यह सब कुछ पंजाब में रह कर करें तो पंजाब को सोने की चिडिय़ा कहने से कोई नहीं रोक सकता।
पंजाबी बोली का मान-सम्मान जरूरी होना चाहिए। पंजाब के सरकारी व प्राइवेट स्कूलों में पंजाबी भाषा अनिवार्य हो। हर विभाग, हर कार्यालय में कार्य पंजाबी भाषा में हो। अपने बच्चों को पंजाबी भाषा के साथ जोडऩे की हरसंभव कोशिश की जानी चाहिए। मौजूदा पंजाबी सभ्याचार बनावटी हो कर रह गया है। आजकल पहले की तरह लोगों में मेहमानों के आने का उत्साह नहीं होता बल्कि यह ङ्क्षचता रहती है कि वे कब जाएंगे। आजकल लोग विवाह समारोहों के लिए अपने रिश्तेदारों के यहां कुछ दिन पहले नहीं जाते जबकि समय पर पहुंच कर कुछ समय बाद ही वापस आ जाते हैं। लोगों में पहले जैसा चाव नहीं है।
ऐसे समारोहों में शामिल होना उनके लिए मजबूरी बन कर रह गया है। लोग यह भूल गए हैं कि हंसना-गाना व नाचना रूह की खुराक है जो हमारे जीवन को तंदुरुस्ती व नई ऊर्जा देते हैं। अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि आओ हम एक ऐसे पंजाब का निर्माण करें जहां लोग हाथ से मेहनत करें, बनता टैक्स अदा करें व पंजाबी भाषा के सम्मान में डट कर पहरा दें। मैं आशा करता हूं कि मेरा पंजाब नाचता-गाता व ‘हसदा-वसदा’ रहे।