Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Jan, 2018 08:49 AM
भाजपा के लिए 2018 में होने वाले चुनाव मुश्किल और दिलचस्प दोनों हैं। राहुल गांधी अध्यक्ष बनने के बाद पहली बड़ी जीत का इंतजार कर रहे हैं और भाजपा हिमाचल प्रदेश व गुजरात जीतने के बाद हैट्रिक लगाने की जुगत में है।
जालंधर(पाहवा): भाजपा के लिए 2018 में होने वाले चुनाव मुश्किल और दिलचस्प दोनों हैं। राहुल गांधी अध्यक्ष बनने के बाद पहली बड़ी जीत का इंतजार कर रहे हैं और भाजपा हिमाचल प्रदेश व गुजरात जीतने के बाद हैट्रिक लगाने की जुगत में है। भाजपा ने इस बार चुनाव जीतने का तरीका और नेता दोनों एकदम अलग तरह के चुने हैं। कुछ जानने वालों का मानना है कि भारतीय राजनीति में ऐसा वक्त पहली बार आया होगा जब कोई राजनीतिक दल एक ही समय में 3 अलग-अलग धर्म के मतदाताओं को इस तरह से अपनी तरफ खींचने की कोशिश कर रहा हो।
2018 में सबसे पहले मेघालय और त्रिपुरा में चुनाव होने वाले हैं। इन 2 राज्यों में भाजपा का जनाधार बेहद कमजोर है। मेघालय में कांग्रेस की सरकार है और मुकुल संगमा मुख्यमंत्री हैं। त्रिपुरा में सी.पी.एम. की सत्ता कायम है और मानिक सरकार मुख्यमंत्री बने रहने का रिकॉर्ड बनाने निकले हैं। ये दोनों राज्य ऐसे हैं जहां ईसाई धर्म के वोटरों की संख्या बेहद ज्यादा है। अमित शाह यहां 2 रैलियां कर चुके हैं और प्रधानमंत्री की भी एक रैली हो चुकी है ।
उत्तर पूर्व के इन 2 राज्यों में भाजपा के स्टार प्रचारक हैं मोदी सरकार में ईसाई धर्म के इकलौते मंत्री अल्फोंस कन्नथनम। ऐसा पहली बार हुआ है जब भाजपा ने ईसाई धर्म के लोगों को अपनी तरफ खींचने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। इस फार्मूले को भाजपा के लोग गोवा का उदाहरण देकर सफल होने की उम्मीद जता रहे हैं। मेघालय अगर कांग्रेस के हाथ से निकल गया तो अमित शाह कांग्रेस मुक्त भारत के बेहद करीब पहुंच जाएंगे।
इसके बाद कांग्रेस के पास सिर्फ 3 राज्यों में सरकार बचेगी पंजाब, पुड्डुचेरी और कर्नाटक। कर्नाटक में भी इसी साल चुनाव होने हैं और बाकी देश की तरह यहां भी भाजपा का पूरा ध्यान ङ्क्षहदू वोटों को एकजुट करने पर है। इस काम के लिए कर्नाटक में पार्टी ने योगी आदित्यनाथ को अपना स्टार प्रचारक घोषित किया है। योगी वहां पर एक राऊंड प्रचार कर भी चुके हैं। इन सबसे अलग एक ऐसा राज्य है जहां इस साल कोई चुनाव तो नहीं होने हैं लेकिन भाजपा यहां के मुस्लिम वोट पाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रही है।
पश्चिम बंगाल में पिछले एक महीने में सियासत का अलग रंग देखने को मिला है। ममता बनर्जी की पार्टी तेजी से ङ्क्षहदू मतदाताओं को करीब लाने में जुटी है। बीरभूम में पश्चिम बंगाल के सभी बड़े पंडितों का सम्मेलन बुलाया गया और इसे ब्राह्मण सम्मेलन का नाम दिया गया। इसके बाद ममता ने खुद गंगासागर मेले की तैयारी में पूरी जान लगा दी। अब भाजपा वहां मुस्लिम सम्मेलन कर रही है। तीन तलाक का बिल लोकसभा में पास करवाने को भाजपा अपनी विजय बता रही है और इसे जश्न के मौके का नाम देकर कोलकाता में सिर्फ मुस्लिम समाज के लोगों को मीटिंग में बुलाया गया है।
इस मौके पर भाजपा की स्टार होंगी इशरत जिन्होंने तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी। वह कुछ दिन पहले ही भाजपा महिला मोर्चा की सदस्य बनी हैं। भाजपा के सूत्रों से सुनी बात को मानें तो भाजपा के लिए किसी भी अन्य राज्य से ज्यादा कठिन पश्चिम बंगाल का चुनाव जीतना है। यह एक ऐसा राज्य है जहां 26 फीसदी मुस्लिम आबादी है, ऐसे में यहां भाजपा तभी ममता बनर्जी को हरा सकती है जब ङ्क्षहदुओं के अलावा उसे मुस्लिम वोट भी ठीक-ठाक संख्या में मिलें।