Edited By Updated: 11 May, 2016 09:46 AM
यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यू.पी.एस.सी.) द्वारा ली गई सिविल सर्विस परीक्षा -2015 का अंतिम रिजल्ट गत मंगलवार को जारी किया गया
जालंधर (विनीत, शीतल): यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यू.पी.एस.सी.) द्वारा ली गई सिविल सर्विस परीक्षा -2015 का अंतिम रिजल्ट गत मंगलवार को जारी किया गया, जिसमें नई दिल्ली की टीना डाबी ने देश भर में पहला, जम्मू-कशमीर के अतहर आमिर उल शफी खान ने दूसरा और नई दिल्ली के ही जसमीत सिंह संधू ने तीसरा स्थान पाकर सफलता के नए आयाम स्थापित किए। घोषित हुए परिणामों में महानगर जालंधर की कनिष्का ने आल इंडिया लैवल पर 515वां रैंक प्राप्त कर अपने माता-पिता व शहर का नाम रोशन किया। पंजाब केसरी के साथ बातचीत के दौरान कनिष्का ने खोले सफलता के राज-
कैसे की तैयारी, कनिष्का की जुबानी:
2013 तक हरियाणा सरकार में बतौर टीकाकरण सलाहकार के पद पर तैनात थीं, नौकरी कर दिल की ख्वाहिशें तो पूरी हो रही थीं, परन्तु मन को सुकून नहीं मिल पा रहा था। कुछ नया करने की सोच के कारण वर्ष 2013 में जॉब छोड़कर आई.ए.एस. की तैयारी करने लगी। साइकोलॉजी को अपनी आप्शन बनाकर बिना किसी अतिरिक्त तैयारी के पहले भी कोशिश की थी, परन्तु वह नाकाम रही। इसके बाद वर्ष 2015 में अपनी पुरानी गलतियों को सुधार कर पूर्ण आत्मविश्वास के साथ पेपर दिया और दूसरे अटैम्पट में उसे क्लीयर किया। इंटरव्यू के दौरान नर्वसनैस काफी थी, परन्तु इंटरव्यू पैनल उम्मीदवार को डराता नहीं, बल्कि कम्फर्ट फील करवाता है।
आत्मविश्वास के साथ निकाला ‘इंटरव्यू राऊंड’
इंटरव्यू के दौरान मन में एक खौफ जरूर होता है, कि न जाने किस प्रकार के प्रश्न पूछे जाएंगे। कुछ ऐसा ही डर मेरे मन में भी था, पर मन में सफलता पाने का सच्चा विश्वास भी था, जिसके कारण ही मैंने पूर्ण आत्मविश्वास के साथ इंटरव्यू राऊंड को पार करके सफलता पाई। इंटरव्यू पैनल उम्मीदवार की योग्यता के साथ उसके आत्मविश्वास का भी निरीक्षण करते हैं। कनिष्का की इंटरव्यू बहुत सरल और आसान तरीके से हुई थी, इंटरव्यू क्लीयर करने का विश्वास ही था, जिससे सफलता मिली।
पढ़ाई के साथ-साथ शौक रखें कायम:
दसवीं की पढ़ाई टैगोर डे बोर्डिंग पब्लिक स्कूल से 86 फीसदी अंक लेकर पास की, +2 में 81 फीसदी माक्र्स लिए और बाकी की पढ़ाई फरीदकोट और जयपुर से पूर्ण की। डैंटिस्ट बनना एक मुकाम था, लेकिन आई.ए.एस. अधिकारी बनना दिल का सपना था। अपने सपने को पूरा करने के लिए पढ़ाई के साथ अपने किताबें पढऩे और शतरंज खेलने के शौक को भी कायम रखा, जिससे थकावट महसूस नहीं हुई। कनिष्का को पूर्व राष्ट्रपति डा. अब्दुल क्लाम और रॉबिन सिंह की किताबें पढऩे का शौक भी है।
सैल्फ स्टडी सफलता का मूलमंत्र
जब सिविल सर्विसिज की तैयारी की तो सिर्फ खुद पर यह ही विश्वास था कि सफलता जरूर मिलेगी, पहली अटैम्पट में जब पेपर क्लीयर न हुआ तो मन का विश्वास काफी हिला, पर उसके बाद काफी मजबूती से हिम्मत करके दोबारा तैयारी शुरू करके अपना भाग्य फिर से आजमाया। सैल्फ स्टडी और स्वयं पर विश्वास ही सफलता पाने का मूलमंत्र है।
परिवार में छाई खुशियां:
कनिष्का के सिविल सर्विसिज परीक्षा में सफलता हासिल करने पर परिवार की खुशियां का ठिकाना न रहा। रिजल्ट घोषित होते ही आस-पड़ोस के लोग और रिश्तेदारों के बधाई संदेशों का तांता लग गया। पिता धर्मवीर कुमार केनरा बैंक से रिटायर्ड अधिकारी हैं और मां गांव लांबड़ा के सरकारी स्कूल में हिंदी की अध्यापिका है। बड़ी बहन ओरिएंटल बैंक आफ कामर्स में अफसर हैं और भाई थापर कालेज से इंजीनियरिंग कर रहा है।