Edited By Updated: 23 Jan, 2016 01:29 PM
सभी शताब्दी गाड़ियों सहित मेल-एक्सप्रैस ट्रेनों की 50 प्रतिशत सीटें प्रीमियम तत्काल में शामिल करना, प्लेटफार्म ...
जालंधर(पाहवा): सभी शताब्दी गाड़ियों सहित मेल-एक्सप्रैस ट्रेनों की 50 प्रतिशत सीटें प्रीमियम तत्काल में शामिल करना, प्लेटफार्म टिकट का दाम 10 रुपए करना, गो इंडिया स्मार्ट कार्ड से मिलने वाला 5 प्रतिशत बोनस खत्म करना, पैसेंजर ट्रेनों का न्यूनतम किराया 5 से बढ़ाकर 10 रुपए करना, ए.सी. किराए की 30 प्रतिशत राशि पर 0.5 प्रतिशत स्वच्छ भारत सैस लगाना, राऊंड फिगर को बढ़ाकर कर 5 रुपए करना जैसे कुछ ऐसे फैसले पिछले समय में रेलवे के यात्रियों पर थोपे गए हैं जिसके बाद से रेल यात्री अच्छे दिनों की परिभाषा को तलाश रहे हैं।
भाजपा ने पहले विपक्ष में रहते हुए ऐसे कई फैसलों को लेकर न केवल विरोध किया बल्कि रोष प्रदर्शन कर लोगों को पेरशान भी किया। अब सत्ता में आते ही रेल यात्रियों पर नए-नए बोझ डाल दिए। हाल ही में रिफंड मामले में रेलवे ने रेल यात्रियों को कन्फर्म टिकट पर ट्रेन छूटने के 4 घंटे तक रिफंड देने की व्यवस्था खत्म कर बड़ा कहर ढाया। यही नहीं 5 से 11 साल के बच्चों का कन्फर्म टिकट लेने पर 50 प्रतिशत की रियायत भी अब समाप्त कर दी गई है। बेशक रेलवे को ट्रैक पर लाने के लिए कड़े फैसले लेने जरूरी हैं लेकिन रेल मंत्री व रेल मंत्रालय यह बात भूल गया है कि रेल में अगर अमीर वर्ग यात्रा करता है तो गरीब वर्ग भी कम नहीं है।
हाल ही में रेल मंत्रालय ने एक अध्ययन रिपोर्ट के माध्यम से सेब, सिनेमा टिकट, रिफाइंड तेल और टूथपेस्ट आदि वस्तुओं की कीमतों से रेल किरायों की तुलना की है, जिसमें बताया गया है कि जनरल कोच में दिल्ली से आगरा का किराया 85 रुपए है, जो कि एक किलो सेब के दाम से भी कम है। रेलवे की यह तर्क देने की कोशिश भी बेकार रही। बेशक चुनावों से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अच्छे दिनों की बातें कहते थे लेकिन तब उन्होंने कभी सेब या रेल के दाम पर चर्चा नहीं की।
ए.सी. कमरों में बैठकर रिपोर्ट बनाने वाले भूल गए कि सेब बेशक 85 रुपए किलो से अधिक हो लेकिन रेल यात्रा मजबूरी है लेकिन महंगा सेब खाना कोई मजबूरी नहीं है। आखिर रेल बजट से ठीक पहले इस तरह की अध्ययन रिपोर्ट जारी करने के पीछे रेलवे का मकसद क्या है? इस सवाल पर रेल अधिकारी कहते हैं कि देश में रेल का सफर सबसे सस्ता है जबकि हम यात्री सुविधाओं में लगातार इजाफा कर रहे हैं। रेल यात्री परेशान हैं और यही कह रहे हैं कि रेल मंत्री (सुरेश) प्रभु और कितना जुल्म करोगे?