Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Jan, 2018 12:14 PM
डी.टी.ओ. कार्यालय जालंधर में लगभग डेढ़-दो साल पहले सामने आया हैवी लाइसैंस घोटाला, जिसने पूरे परिवहन विभाग को बुरी तरह से हिलाकर रख दिया था, एक बार फिर से दस्तक दे सकता है। पिछले साल के अंतिम सप्ताह में विजीलैंस विभाग द्वारा की गई ऐतिहासिक कार्रवाई...
जालंधर(अमित) : डी.टी.ओ. कार्यालय जालंधर में लगभग डेढ़-दो साल पहले सामने आया हैवी लाइसैंस घोटाला, जिसने पूरे परिवहन विभाग को बुरी तरह से हिलाकर रख दिया था, एक बार फिर से दस्तक दे सकता है। पिछले साल के अंतिम सप्ताह में विजीलैंस विभाग द्वारा की गई ऐतिहासिक कार्रवाई के पश्चात शुरू की गई विभागीय पड़ताल में हैवी लाइसैंस को लेकर जांच तेज हो सकती है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार करोड़ों रुपए के हैवी लाइसैंस घोटाले की कई परतें खुल सकती हैं। अगर ऐसा होता है तो निजी कंपनी के एक कर्मचारी के साथ-साथ एक बड़े अधिकारी पर भी इसकी गाज गिर सकती है।
क्या है मामला, क्यों शुरू हुई है जांच?
लगभग 6 महीने डी.टी.ओ. कार्यालय में तकनीकी खराबी के कारण साफ्टवेयर में आई गड़बड़ी का नाम लेकर एक लाइसैंस गलत तरीके से जारी करने का मामला सामने आया था, जिसमें एक व्यक्ति का हैवी लाइसैंस जिसकी अवधि समाप्त हो चुकी थी, उसे डुप्लीकेट बताकर नया प्रिंट निकाल दिया गया था। इससे पहले सामने आया हैवी लाइसैंस घोटाला कितना बड़ा था, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रति लाइसैंस 30 से 40 हजार रुपए की रिश्वत लिए जाने से उक्त घोटाले में करोड़ों रुपए का अवैध लेन-देन हुआ था। इस घोटाले में तत्कालीन डी.टी.ओ. द्वारा की गई जांच रिपोर्ट में साफ किया था कि मई 2016 से लेकर जुलाई तक जारी किए गए हैवी लाइसैंसों में 45 हैवी लाइसैंस जाली पाए गए थे, क्योंकि इन सभी लाइसैंसों के अंदर स्टेट इंस्टी‘यूट आफ ऑटोमेटिव एंड ड्राईविंग स्किल्स, मोहाना (मुक्तसर) से लिए जाने वाले अनिवार्य ट्रेनिंग सर्टीफिकेट लगाए ही नहीं गए थे। इतना ही नहीं उक्त सारे लाइसैंस जिन दस्तावेजों (सर्वर में स्कैन किए गए) के आधार पर जारी किए गए थे उनके ऊपर किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के हस्ताक्षर ही नहीं थे। उक्त सारे लाइसैंस निजी कंपनी के कर्मचारियों ने नियमों को ताक पर रखते हुए बनाए थे, इसीलिए उक्त सारे हैवी लाइसैंस रद्द कर दिए गए थे। इसके साथ ही 170 हैवी लाइसैंस शक के घेरे में आए थे उनको नोटिस जारी किए गए थे कि वह अपने असली दस्तावेज लेकर डी.टी.ओ. के पास आएं, ताकि बनती कार्रवाई की जा सके। डी.टी.ओ. ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया था कि जैसे ही डी.टी.ओ. को इस मामले की जानकारी मिली उन्होंने निजी कंपनी के अधिकारियों से बात कर जांच करने के आदेश दिए थे और समूह कर्मचारियों को सरकारी अधिकारी या कर्मचारी के हस्ताक्षर और अप्रूवल के बिना लाइसैंस जारी न करने के निर्देश जारी किए थे। इसके अलावा हिदायत दी गई थी कि बिना मोहाना के ट्रेनिंग सर्टीफिकेट के एक भी लाइसैंस जारी न किया जाए। मगर न जाने किस कारणवश इस रिपोर्ट को बाद में गोल कर दिया गया, जिसकी वजह से किसी दोषी के खिलाफ कोई कार्रवाई ही नहीं हो सकी थी। इन्हीं बातों को मुख्य रखते हुए विजीलैंस द्वारा हैवी लाइसैंसों का सारा रिकार्ड तलब कर उसकी टैक्नीकल एक्सपर्ट से जांच करवाई जाएगी ताकि इस पूरे मामले में दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।