Edited By Updated: 02 Oct, 2015 11:52 AM
2 अक्तूबर को पूरा विश्व अहिंसा के पुजारी और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मनाने की तैयारी कर रहा है।
होशियारपुर(अमरेन्द्र): 2 अक्तूबर को पूरा विश्व अहिंसा के पुजारी और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मनाने की तैयारी कर रहा है। बापू हमेशा अनुशासन प्रिय रहे और उन्होंने भारत में रामराज का सपना देखा था।
देश को आजादी मिलने के बाद से उनके सपनों पर आज भी राजनीतिक रोटियां सेंकने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। हर साल गांधी जयंती के दिन कुछ राजनेतागण उनकी मूर्तियों पर फूल माला का हार पहना तो देते हैं लेकिन उसके बाद पलट कर देखना भी गंवारा नहीं समझते।
आज की युवा पीढ़ियों को शायद नहीं मालूम पर आजादी से पहले होशियारपुर शहर को पूरे देश में चरखा के माध्यम से बढिय़ा किस्म कासूत तैयार करने में महारत हासिल थी। जब गांधी जी ने स्वदेशी अभियान की शुरूआत की तो वह अपने पंजाब दौरे के 2 दिवसीय कार्यक्रम में जालंधर के साथ-साथ होशियारपुर भी पहुंचे थे।
गौरतलब है कि साल 1920 में महात्मा गांधी के होशियारपुर दौरे से पहले ही होशियारपुर के तत्कालीन कांग्रेसी नेताओं ने होशियारपुर में जोरदार आंदोलन छेड़ रखा था। गांधी जी के 30 व 31 अक्तूबर 1920 को होशियारपुर पहुंचने की सूचना से आजादी के मतवाले नौजवानों में उत्साह का माहौल बना हुआ था।
योजना के अनुसार महात्मा गांधी को 30 अक्तूबर को सुबह के समय कनक मंडी चौक में व दोपहर के समय हरियाना कस्बे में रैली को संबोधित करना था। जालंधर व आदमपुर होते हुए जब गांधी जी होशियारपुर के हरियाना बस अड्डा (अब गऊशाला बाजार) पर पहुंचे तो समय दोपहर के 11 बज गए थे। हरियाना रैली में पंडित जगतराम के नेतृत्व में युवाओं का जोश इतना बढ़ गया कि हरियाना के उत्साही युवक गांधी जी को अपने कंधों पर उठा पैदल ही हरियाना की तरफ चल दिए थे।