पंजाब सरकार का सामाजिक सुरक्षा, स्त्री व बाल विकास विभाग वैंटीलेटर पर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Feb, 2018 12:12 PM

punjab government

केंद्र सरकार द्वारा 2 अक्तूबर, 1975 को देशभर में छोटे ब४चों के विकास के लिए शुरू की गई आई.सी.डी.एस. योजना जिसे पंजाब में सामाजिक सुरक्षा, स्त्री एवं बाल विकास विभाग द्वारा चलाया जा रहा है, इन दिनों वैंटीलेटर पर है। खजाना खाली हो जाने की दुहाई दे रही...

श्री मुक्तसर साहिब(तनेजा): केंद्र सरकार द्वारा 2 अक्तूबर, 1975 को देशभर में छोटे ब४चों के विकास के लिए शुरू की गई आई.सी.डी.एस. योजना जिसे पंजाब में सामाजिक सुरक्षा, स्त्री एवं बाल विकास विभाग द्वारा चलाया जा रहा है, इन दिनों वैंटीलेटर पर है। खजाना खाली हो जाने की दुहाई दे रही कैप्टन अमरेंद्र सिंह के नेतृत्व वाली राज्य की कांग्रेस सरकार उन पैसों को भी अपने पास ही रखे हुए है, जो पैसे गरीब बच्चों की भलाई के लिए केंद्र सरकार ने पंजाब के लिए जारी कर दिए हैं।

आलम यह है कि उक्त विभाग द्वारा शहरों व कस्बों में किराए के मकानों में चलाए जा रहे आंगनबाड़ी सैंटरों का किराया भी पिछले 15 माह से नहीं दिया गया जिस कारण आंगनबाड़ी वर्कर्स व हैल्पर्स घोर निराशा के आलम में हैं क्योंकि मकान मालिकों ने उन को मकान खाली करने की चेतावनी देते हुए कह दिया है कि यदि उनको पिछला बकाया न मिला तो वह मार्च माह से सैंटरों की तालाबंदी कर देंगे तथा सैंटरों के अंदर पड़ा समान भी नहीं उठाने देंगे। स्थिति यह बन गई है कि ऐसे हालात में आंगनबाड़ी वर्कर्स व हैल्पर्स इन छोटे-छोटे बच्चों को लेकर कहां जाएंगी तथा क्या करेंगी। 

वित्त मंत्री के क्षेत्र में 2 वर्षों से नहीं मिले पैसे 
जहां बाकी सारे पंजाब में सैंटरों का किराया मिले सवा वर्ष गुजर चुका है, वहीं राज्य के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल के स्वयं के क्षेत्र बठिंडा में आंगनबाड़ी सैंटरों के किराए को मिले 2 वर्ष गुजर गए हैं तथा मनप्रीत सिंह बादल को वोट देने वाली वर्कर्स व हैल्पर्स अपना माथे पकड़े बैठी हैं। 

बच्चों को नहीं मिला राशन 
उल्लेखनीय है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश हैं कि वर्ष में से कम से कम 300 दिन सैंटरों में आने वाले बच्चों को राशन मुहैया करवाया जाए, परंतु हैरानी की बात है कि वर्ष 2017 बिना राशन के ही गुजर गया तथा सरकार ने राशन खरीदा ही नहीं। बच्चे बिना कुछ खाए-पीए वापस लौटते रहे हैं। 

गरीबों के बच्चे ही आते हैं सैंटरों में  
राज्य भर में आंगनबाड़ी सैंटरों में आने वाले बच्चों की संख्या 7 से 8 लाख के बीच बताई जा रही है तथा यह सभी बच्चे गरीब परिवारों से ही संबंधित हैं जिस कारण इन गरीब बच्चों की भलाई की सरकार को कोई ङ्क्षचता नहीं है जबकि अमीरों के बच्चे होते तो ट्रकों के ट्रक राशन के आ जाते। यही नहीं सैंटरों में न तो स्वच्छ पेयजल का प्रबंध है और न ही फर्नीचर व अन्य सुविधाएं हैं। 

बच्चे भी छीन कर ले लिया गया शिक्षा विभाग
संबंधित विभाग का तो बस ईश्वर ही रक्षक है, क्योंकि आंगनबाड़ी सैंटरों में आने वाले राज्य के 8 लाख बच्चों में से 5 लाख बच्चे शिक्षा विभाग छीन कर ले गया है तथा सरकारी प्राइमरीस्कूलों में प्री नर्सरी कक्षाएं शुरू कर दी हैं। बच्चों के बिना बेकार हुई वर्कर्स व हैल्पर्स तो बच्चों को वापस लाने के लिए सड़कों पर प्रदर्शन कर रही हैं परन्तु विभाग के उच्चाधिकारी व विभाग के मंत्री मैडम रजिया सुल्ताना चुप्पी साधे तमाशा देख रही हैं। 

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