Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Jan, 2018 11:41 AM
सरकार बदली, नीतियां बदली लेकिन बदला नहीं शराब माफिया जिसकी अभी भी राज्य पर पकड़ मजबूत है। इसके पीछे का कारण यह है कि शराब का धंधा राजनीतिक लोगों के हाथों में पहुंच चुका है जिसमें अधिकतर नंबर-2 के पैसे की खपत होती है। सरकार बेशक कितना भी जोर क्यों न...
बठिंडा (आजाद): सरकार बदली, नीतियां बदली लेकिन बदला नहीं शराब माफिया जिसकी अभी भी राज्य पर पकड़ मजबूत है। इसके पीछे का कारण यह है कि शराब का धंधा राजनीतिक लोगों के हाथों में पहुंच चुका है जिसमें अधिकतर नंबर-2 के पैसे की खपत होती है। सरकार बेशक कितना भी जोर क्यों न लगा ले शराब माफिया का एकाधिकार कभी खत्म नहीं होगा। उत्तर प्रदेश का पोंटी चड्ढा ग्रुप देश के आधे हिस्से पर शराब कारोबारी के नाम से मशहूर है। बेशक आपसी रंजिश में पोंटी चड्ढा की हत्या हो चुकी है परंतु उसका ग्रुप अभी भी सक्रिय है जिसके हाथ इतने लंबे हैं कि राज्य के मुख्यमंत्री तक इस ग्रुप को मिलने में गर्व महसूस करते हैं। फरीदकोट के पूर्व संसदीय सचिव दीप मल्होत्रा का भी शराब का कारोबार दूर-दूर तक फैला हुआ है। उसकी बठिंडा सहित कई डिस्टिलरीज हैं और पारिवारिक सदस्यों के नाम सबसे अधिक ठेके उन्हीं के हैं। बठिंडा में शराब की 2 बड़ी डिस्टिलरीज हैं जबकि पूरे पंजाब में कुल 16 डिस्टिलरीज हैं। देखा जाए तो इनमें से 7 डिस्टिलरीज पर कांग्रेस व अकाली दल से जुड़े नेताओं का कब्जा है। अबोहर में भाजपा नेता शिवलाल डोडा व उनके करीबियों के भी राज्य में सैंकड़ों की संख्या में ठेके हैं, बेशक शिवलाल डोडा एक संगीन मामले में जेल में बंद है लेकिन उसका शराब का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है।
शराबबंदी के लिए कोई संगठन आगे नहीं आया
राज्य सरकार के खजाने में शराब द्वारा एक बड़ा हिस्सा जमा होता है जिस कारण सरकार व एक्साइज विभाग का ठेकेदारों प्रति रुख हमेशा नर्म रहता है। ठेकेदारों की दादागिरि के आगे प्रशासन भी अपाहिज बन जाता है जिससे कई बेकसूर लोग ठेकेदारों की गुंडागर्दी का शिकार भी बन जाते हैं। ऐसे मामले होने के बावजूद किसी भी संगठन ने शराबबंदी के लिए आवाज बुलंद नहीं की। देश के कई राज्यों में पूर्ण रूप से शराब बंदी है जिनमें गुजरात, बिहार सहित 4 राज्य शामिल हैं। बिहार में महिलाओं ने सड़कों पर प्रदर्शन कर शराबबंदी के लिए आवाज उठाई व सफलता हाथ लगी। बठिंडा में 10वीं पातशाही की चरण स्पर्श धरती दमदमा साहिब में भी किसी ने शराबबंदी के लिए आवाज नहीं उठाई। जबकि सिखों के चौथे तख्त के नाम से मशहूर दमदमा साहिब एक ऐसा ऐतिहासिक स्थान है जो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है फिर भी वहां शराब पर कोई रोक नहीं। शराबियों से ’यादा उनकी पत्नियां व घर की महिलाएं अधिक परेशान हैं फिर भी महिला संगठन ने कभी भी शराब बंदी के लिए कोई कदम नहीं उठाया।
फैशन का रूप बनता जा रहा शराब का सेवन
पुराने जमाने में राजे-महाराजे मदिरा का सेवन करते थे लेकिन वे सेहत व शौक के लिए ही मदिरापान करते थे लेकिन अब इसे नशे के तौर पर प्रयोग किया जाता है। शराब पीना रईसजादों का फैशन बना हुआ है और महंगी से महंगी शराब खरीदकर पीना उनका शौक है। शराब की कीमतों का कोई अंत नहीं 100 रुपए से लेकर 1 करोड़ या इससे अधिक तक की बोतल खरीदी जा सकती है। शराब का चलन इतना बढ़ा है कि पुरुषों के साथ महिलाएं भी शराब पीने की शौकीन हैं। अब तो स्कूलों-कालेजों के छात्र-छात्राएं भी मदिरापान से पीछे नहीं।
अब तक कई जानें जा चुकी हैं अवैध शराब से
नशापूर्ति के लिए आम तौर पर शराबी सस्ती शराब की ओर आकॢषत होते हैं चाहे वह शराब अवैध ही क्यों न हो। 2 दशक पहले रामां मंडी में अवैध शराब के कारण 3 दर्जन से अधिक लोग दम तोड़ गए थे जबकि 4 दर्जन से अधिक लोग अंधे हो गए थे, बावजूद इसके अवैध शराब का कारोबार बंद नहीं हुआ। कैमीकल से बनी शराब शरीर के लिए इतनी घातक है लेकिन शराब का सुरूर लेने वाले कभी इसकी प्रवाह नहीं करते, चाहे इनकी जान ही क्यों न चली जाए। ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं। अवैध शराब कई मौतों का कारण बनी लेकिन अभी तक किसी ने इससे सबक नहीं लिया।
अवैध शराब की तस्करी में बठिंडा आगे
देश भर में नशे का चलन खूब बढ़ा है, लोग विभिन्न प्रकार के नशे के आदि हो रहे हैं जबकि सीमा पार से भी नशे की बड़ी-बड़ी खेप आ रही है। बावजूद इसके शराब के नशे की तस्करी भी जोरों पर है। बठिंडा से बनी शराब दूसरे कई राज्यों में पकड़ी जाती है। अधिकतर बठिंडा की बनी शराब की तस्करी दक्षिण व पश्चिम राज्यों में खूब हो रही है। गत कुछ दिन पहले ही बठिंडा में बनी शराब की खेप जालंधर में पकड़ी गई। इसी तरह हरियाणा से शराब की तस्करी भी जोरों पर है जिसकी चपेट में आधा पंजाब शामिल है। पुलिस अब तक शराब तस्करी के सैंकड़ों मामले दर्ज कर चुकी है परंतु फिर भी तस्कर लगातार इस अवैध धंधे से जुड़े हुए हैं। ठेका शराब की तस्करी के अलावा अवैध शराब की तस्करी में भी बठिंडा पीछे नहीं। एक गांव ऐसा भी है जो अवैध शराब के नाम से कई दशकों से बदनाम है। वहां घर-घर में घर की निकाली रूड़ीमार्का शराब की बिक्री आम बात है। पुलिस के छापे पडऩे के बावजूद भी अवैध शराब का कारोबार बंद नहीं हुआ।
नशा तस्करों के निशाने पर स्टूडैंट्स
शहर में यूनिवर्सिटी व कालेज में पढऩे वाले स्टूडैंट्स में ज्यादातर घर से दूर रहकर पढ़ाई करते हैं। हॉस्टल व पी.जी. में रहने वाले स्टूडैंट्स पढाई के नाम पर घर से पैसा लेकर मौज-मस्ती पर खर्च करने लगते हैं व धीरे-धीरे करके नशे की दलदल में फंसते चले जाते हैं क्योंकि यहां कोई रोक-टोक करने वाला नहीं होता है। इसी का फायदा नशा तस्क र भी उठा रहे हैं। नशा तस्करों के गिरोह कुछ नौवजवानों को स्टूडैंट्स बनाकर यूनिवर्सिटी व कालेज में भेज देते हैं, वहां जाकर ये स्टूडैंट्स बनकर पहले शराब पिलाने से शुरूआत करते हैं व धीरे-धीरे कई प्रतिबंधित नशे की लत के शिकार बना देते हैं, जिसकेकारण स्टूडैंट्स पढ़ाई को भूल जाते हैं।