कैप्टन साहिब! आखिर शहर वासियों को कब नसीब होगा शुद्ध पेयजल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Dec, 2017 02:02 PM

when the city dwellers will have pure drinking water

शहर के निवासियों को शुद्ध पेयजल के लिए अभी और पता नहीं कितनी देर प्रतीक्षा करनी पड़ेगी, क्योंकि गत कई वर्षों से लोगों को शुद्ध पानी मुहैया करवाने के लिए समय की सरकारों द्वारा दावे तो तमाम किए गए, लेकिन जमीनी स्तर पर काम न के बराबर ही हुआ।

फरीदकोट (हाली): शहर के निवासियों को शुद्ध पेयजल के लिए अभी और पता नहीं कितनी देर प्रतीक्षा करनी पड़ेगी, क्योंकि गत कई वर्षों से लोगों को शुद्ध पानी मुहैया करवाने के लिए समय की सरकारों द्वारा दावे तो तमाम किए गए, लेकिन जमीनी स्तर पर काम न के बराबर ही हुआ। यदि ऐसा नहीं होता तो राजा माइनर प्रोजैक्ट का काम 6 वर्षों से लटक रहा नहीं होता। कभी मंजूरी के लिए फाइलों में देरी, कभी फंडों का इंतजार और कभी रास्ते में आने वाले वृक्षों की कटाई रुकने के चलते यह प्रोजैक्ट लगातार पिछड़ रहा है, जिसके चलते शहर की 1 लाख के करीब आबादी को सरहिन्द नहर का जहरीला पानी पीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

शहरवासियों ने मुख्यमंत्री से मांग की कि जल्द से जल्द इस प्रोजैक्ट की राह में आ रही बाधाओं को दूर कर लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाया जाए। मालवा क्षेत्र व खास कर इस क्षेत्र के आसपास जमीन निचला पानी पीने लायक न होने के कारण लोग वाटर वक्र्स के पानी पर निर्भर हैं और यह पानी शहर में से गुजरती नहर सरहिन्द फीडर में से आता है। यह नहर हरीके पत्तन से निकलती है, जिसमे कि यहां से लुधियाना के उद्योगों का जहरीला पानी बूढ़े नाले द्वारा पड़ रहा है और कई सालों से यह सिलसिला बदस्तूर जारी है।

यही उद्योगों का जहर मिला पानी आगे इन नहरों के द्वारा सिर्फ फरीदकोट ही नहीं, बल्कि फिरोजपुर, फाजिल्का और श्री मुक्तसर साहिब के जिलों तक जाता है। शहर की आबादी को इस पानी के जहर से बचाने के लिए राजा माइनर प्रोजैक्ट 6 साल पहले बनाया गया। यह प्रोजैक्ट तब से लेकर अब तक लटकता आ रहा है, हालांकि यह अढ़ाई साल पहले बनना शुरू हो गया था, परन्तु फिर इसमें वृक्षों की कटाई की अटकलें आ गईं और यह फिर रुक गया।

क्या है यह प्रोजैक्ट 
महाराजा फरीदकोट के बाग के लिए राजा माइनर के नाम पर एक विशेष रजबाहा साफ-सुथरा पानी लेकर अबोहर नहर ब्रांच में से आता है। लोगों की मांग पर इस माइनर का पानी वाटर वक्र्स को सप्लाई किया जाना था और उसके मुताबिक इस रजबाहे के पानी की समर्था बढ़ा ली गई थी। महाराजा के बाग से वाटर वक्र्स तक इस पानी को ले जाने के लिए पाइपें डालीं जानी थीं, जिस का नाम राजा माइनर पानी सप्लाई रखा गया था। पाइपें डालने का यह प्रोजैक्ट 5 करोड़ रुपए का था, जो कि 2 साल पहले डेढ़ करोड़ रुपए सरकार की तरफ से पहली किस्त देने पर शुरू हो गया। 

साल के करीब काम चला और जब यह प्रोजैक्ट तलवंडी भाई वाले नहरों के पुल के पास पहुंचा तो आगे इस में कोई 50 साल पुराने वृक्ष रुकावट बनने लगे, जिन्हें उखाडऩे के लिए ग्रीन ट्रिब्यूनल दिल्ली को लिखा गया, परन्तु उन्होंने इन्कार कर दिया, जिस कारण यह प्रोजैक्ट 1 साल से उसी तरह ही इसी स्थिति में खड़ा है। इस प्रोजैक्ट के शुरू होने से शहर की एक लाख आबादी को साफ-सुथरा पानी तो मिलना ही था, साथ-साथ शहर के मुख्य वाटर वक्र्स की समर्था भी बढ़ जानी थी। इस प्रोजैक्ट के शुरू होने से यह वाटर वक्र्स 3 करोड़ लीटर पानी हर रोज सप्लाई करने लग जाना था, जब कि अब यह वाटर वक्र्स डेढ़ करोड़ पानी सप्लाई करने की समर्था रखता है।

इस संबंधी शहर निवासी जगजीवन सिंह व रजिन्दर अरोड़ा ने कहा कि राजा माइनर प्रोजैक्ट के लटकने कारण शहर वासी अभी भी जहरों वाला पानी पीने के लिए मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि एक तो पानी की कमी और ऊपर से जितना मिलना, वह भी जहरीला हो चुका पानी लोगों में नई-नई बीमारियां पैदा कर रहा है। उन्होंने मांग की कि राजा माइनर प्रोजैक्ट को जल्द पूरा किया जाए ताकि शहर निवासियों को शुद्ध पानी मिल सके। - जगजीवन व रजिन्द्र अरोड़ा 

क्या कहते हैं अधिकारी 
इस सम्बन्धित जल सप्लाई विभाग के अधिकारियों ने बताया कि राजा माइनर प्रोजैक्ट में रुकावट बनने वाले वृक्षों की कटाई संबंधी ग्रीन ट्रिब्यूनल दिल्ली की तरफ से मंजूरी न देने करके 2 साल रुक गया था, परन्तु अब सरकार ने इस सम्बन्धित अपेक्षित फंड भी मुहैया करवा दिए हैं और ग्रीन ट्रिब्यूनल की तरफ से भी मंजूरी मिल गई है, जिस कारण इस प्रोजैक्ट का काम फिर से शुरू हो गया है।

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