जत्थेदार हरप्रीत सिंह की तरफ से दिए बयान के अर्थों को समझे अकाली दल: जी.के.

Edited By Tania pathak,Updated: 18 Nov, 2020 08:38 PM

understand the meaning of the statement made by jathedar

30 साल से बादल परिवार ने अकाली दल, पंजाब व पंथ को अपनी निजी जागीर बना रखा था। जिसे अब जत्थेदार के द्वारा अप्रत्यक्ष तरीके से स्वीकार करके बादलों को नसीहतें दी जा रही है...

चंडीगढ़/ नई दिल्ली: श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के द्वारा शिरोमणी कमेटी की स्थापना की शताब्दी के मौके हुए समागम के दौरान कल अमृतसर में दिए गए ब्यान के गहरे अर्थों को समझने की जागो पार्टी ने अपील की हैं। पार्टी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने आज मीडिया से बातचीत करते हुए जत्थेदार के ब्यान को एक तरह से शिरोमणी अकाली दल को आईना दिखाने वाले ब्यान के तौर पर परिभाषित किया। जीके ने कहा कि जत्थेदार ने अकाली  दल को 'पंथ टू पंजाब' चलने की हिदायत सही दी हैं। क्योंकि जत्थेदार को पता है कि अकाली दल पंथ व पंजाब के साथ नहीं हैं और पंजाब की सत्ता के लिए पंथ जरूरी हैं। जीके ने कहा कि जब पंथ ने अकाली दल को पंजाब सौंपा था, तब तो यहीं लोग पंथ को मारने तथा अपने व्यापार को उभारने के लिए पंजाब का इस्तेमाल कर रहें थे। इसलिए अब पंथ इनके झांसे में नहीं आना वाला। 

30 साल से बादल परिवार ने अकाली दल, पंजाब व पंथ को अपनी निजी जागीर बना रखा था। जिसे अब जत्थेदार के द्वारा अप्रत्यक्ष तरीके से स्वीकार करके बादलों को नसीहतें दी जा रही है। मोदी सरकार को जत्थेदार द्वारा 'ईवीएम सरकार' बताने पर चुटकी लेते हुए जी.के. ने कहा कि फिर 2019 में ईवीएम से जीतने वाले सुखबीर सिंह बादल व हरसिमरत कौर बादल को अपने सांसद पद से इस्तीफा देकर नैतिकता का सबूत देना चाहिए। इसी ईवीएम सरकार में 6.5 साल तक हरसिमरत कौर बादल मंत्री रही है। पर आज सत्ता से बाहर होते ही पंथ व पंजाब खतरे में आ गया। अगर मोदी की सरकार ने बहुमत का हरण किया था तो अकाली सांसदों को बिना समय गँवाए अपनी सीट से इस्तीफा देकर जत्थेदार की बात पर मोहर लगानी चाहिए।

जत्थेदार के द्वारा शिरोमणी कमेटी को शिरोमणी अकाली दल को पुत्र बता कर माँ को पुत्र से अलग ना करने की गई अपील पर जीके  ने कहा कि माँ भी काबिल पुत्र को गले लगाती है ना कि नाकाबिल पुत्र को। जीके ने कहा कि गुरु नानक साहिब के 2 पुत्र थे, बाबा श्रीचंद और बाबा लख्मीचंद, पर गुरु साहिब ने गुरु गद्दी अपने पुत्रों को दरकिनार करके गुरु अंगद साहिब को दी। क्योंकि गुरु नानक साहिब के पुत्रों की विचारधारा अपने पिता के विपरीत थी। इसी तरह जब गुरु हरिराय साहिब के पुत्र बाबा रामराय ने गुरबाणी के अर्थ औरंगजेब के दरबार में जाकर बदल दिए थे तो गुरु हरिराय साहिब ने बाबा रामराय को गुरु गद्दी से वंचित करने के साथ अपने से दूर जाने का आदेश दे दिया था। 

जीके ने कहा कि अकाली दल पंथ से सरदारी लेकर डेरों की सेवा करें, श्री अकाल तख्त साहिब से डेरे को बिना माँगे माफी दें, गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के दोषियों को ना पकड़े तथा इंसाफ माँग रहीं संगत पर अकाली सरकार की पुलिस गोली चलाए। नशे का कारोबार करने के अकाली नेताओं पर दोष लगें। अकाली दल के प्रबंध वाली शिरोमणी कमेटी गुरु ग्रंथ साहिब की सेवा-संभाल ना कर पाए, तो ऐसे अकाली दल रूपी नालायक पुत्र को माँ रूपी शिरोमणी कमेटी क्यों गले लगाए ? पुत्र मोह को तो गुरुओं ने नहीं पाला था, फिर पंथ क्यों नालायक पुत्र को पाले ? जीके ने कहा कि पंजाब के लोग सूझवान तथा सही निजाम चुनने में सक्षम हैं। इसलिए अकाली दल को केवल सत्ता के लिए 'पंथ टू पंजाब' जाने की जरूरत नहीं हैं।

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