Edited By Updated: 24 Jan, 2017 12:37 PM
गुरु की नगरी के कहलाए जाने वाले मॉडल रेलवे स्टेशन पर रेल यात्रियों को मिलने वाली सुविधाएं अभी भी नाममात्र ही हैं।
अमृतसर (जशन): गुरु की नगरी के कहलाए जाने वाले मॉडल रेलवे स्टेशन पर रेल यात्रियों को मिलने वाली सुविधाएं अभी भी नाममात्र ही हैं। रेल मंत्रालय एक तरफ जहां अमृतसर रेलवे स्टेशन को देश के पहले 10 मॉडल रेलवे स्टेशन में शुमार करने के लिए प्रयासरत है, परंतु यहां का स्टेशन प्रशासन यात्रियों को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने में नकारा सिद्ध हुआ है। इसका प्रमाण है सार्वजनिक टिकट घर। स्टेशन पर सार्वजनिक टिकट केंद्र में कुल 6 टिकट विंडो का प्रावधान है, परंतु विडम्बना यह है कि यहां पर अभी मात्र 4 विंडो ही खोली जा रही हैं। इससे रेल यात्रियों को अपनी एक टिकट खरीदने में भारी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है।
बता दें कि वर्तमान में वहां पर जो टिकट काटने वाला कम्प्यूटर सिस्टम चल रहा है, उसके अनुसार एक मिनट में मात्र 2 टिकटें ही निकल सकती हैं, जबकि यहां रेल गाडियों की संख्या बढऩे के साथ-साथ यात्रियों का लोड भी काफी बढ़ा है।
आश्चर्यजनक पहलू यह है कि यात्रियों की संख्या के अनुरूप जहां टिकट विंडो की संख्या में और वृद्धि करनी चाहिए, वहीं स्टेशन प्रशासन इन सभी विंडो को भी समान रूप से खोल नहीं रहा है। इस बारे रेलवे के उच्चाधिकारियों का एक ही रटारटाया उत्तर है कि अभी स्टाफ की काफी कमी है, ऊपर से रेलवे बोर्ड नई भर्ती नहीं कर रहा है, परंतु इस सारे प्रकरण का खमियाजा तो रेलवे यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। टिकट विंडो पर सारा दिन लंबी-लंबी कतारें लगी रहती हैं जिस कारण कई यात्रियों की टिकट लेने के दौरान ही ट्रेन छूट जाती है। वहीं आम जनता का कहना है कि टिकट देने वाले रेल कर्मियों का व्यवहार भी ठीक नहीं है। ये कर्मी यात्रियों से काफी दुर्व्यवहार करते हैं। कई बार टिकट काटने के बाद तीन-चार रुपए छुट्टे न होने का बहाना बनाकर वापस नहीं देते। अगर कोई यात्री इस बारे में पूछता है तो ये कर्मी टिकट वापस लेकर उसे खुले पैसे लेकर आने को कहते है। यात्रियों ने मांग की है कि स्टेशन प्रशासन इस समस्या के समाधान के लिए कोई उचित कदम उठाए। इस बारे में स्टेशन के एक उच्चाधिकारी ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अभी रेलवे बोर्ड नई भर्ती नहीं कर रहा है। स्टाफ की काफी कमी है।