चिट्टे के काले कारोबार में शामिल हुई तस्करों की तीसरी पीढ़ी

Edited By Urmila,Updated: 10 Feb, 2023 11:48 AM

third generation of smugglers involved in the black business of chitta

एकतरफ जहां पुलिस व अन्य सुरक्षा एजैंसियों की तरफ से दावा किया जा रहा ।

अमृतसर : एकतरफ जहां पुलिस व अन्य सुरक्षा एजैंसियों की तरफ से दावा किया जा रहा है कि नशे की बिक्री पर लगाम लगाई जा चुकी है तो वहीं दूसरी तरफ से केन्द्रीय एजैंसियों की रिपोर्ट्स कुछ और ही खुलासा कर रही है। सी.आई. अमृतसर विंग की तरफ से किए गए एक सफल ऑप्रेशन के दौरान एक 17 वर्षीय युवा को भी गिरफ्तार किया गया है, जो साबित करता है कि चिट्टे के काले कारोबार में तस्करों की तीसरी पीढ़ी भी शामिल हो चुकी है और तस्करी का काला कारोबार छोड़ने को तैयार नहीं है। जेलों में कैद पुराने व नए तस्कर जेलों के अन्दर से ही अपना नैटवर्क चला रहे हैं और मोबाइल फोन्स के साथ व्हटसअप कॉल व अन्य एैप्स के जरिए अपने गुर्गों को दिशानिर्देश जारी कर रहे हैं। सबसे खास बात यह है कि चिट्टे की सप्लाई व इसको रिसीव करने के लिए युवाओं व महिलाओं का प्रयोग किया जा रहा है, ताकि सुरक्षा एजैंसियों की आंखों में धूल झोकी जा सके। दूसरी तरफ बार्डर फैंसिंग पर बी.एस.एफ. के हालात देखे जाएं तो पता चलता है कि बी.एस.एफ. अभी भी परंपरागत तरीके से काम कर रही है जो सुरक्षा के लिहाज से ठीक नहीं है।

अटारी बार्डर से लेकर मुद्रा पोर्ट तक फैला हुआ है तस्करों का नैटवर्क

चिट्टे के तस्करों की बात करें तो पता चलता है कि अमृतसर के अटारी बार्डर से लेकर गुजरात के मुद्रा पोर्ट तक हैरोइन तस्करों का नैटवर्क फैला हुआ है। चिट्टे की तस्करी करने के लिए तस्कर हवा, पानी व रोड तीनों का प्रयोग कर रहे हैं और जहां भी कमजोर कड़ी नजर आती है, उसका प्रयोग करते हैं। अटारी बार्डर की बात करें तो आई.सी.पी. अटारी बार्डर पर 532 किलो व 52 किलो हैरोइन की खेप के बाद 105 किलो हैरोइन भी जब्त की जा चुकी है, जबकि गुजरात के मुद्रा पोर्ट व अन्य पोर्टस पर 3300 किलो हैरोइन तक जब्त की जा चुकी है। यही हाल मुंबई पोर्टस का भी जहां डी.आर.आई. की तरफ से अलग-अलग मामलों में कभी 210 किलो तो कभी 500 किलो तक हैरोइन जब्त की जा चुकी है। समुद्री मार्ग का प्रयोग तस्कर कर रहे हैं और हवा के जरिए ड्रोन से सप्लाई करना तो आम बात हो चुकी है।

एंटी ड्रोन तकनीक न होना बड़ी लापरवाही

ड्रोन जैसे खतरनाक उपकरण पर काबू पाने के लिए आधुनिक देशों में एंटी ड्रोन तकनीक का प्रयोग किया जाता है, लेकिन पंजाब बार्डर पर हैरोइन व हथियारों की तस्करी को रोकने के लिए अभी तक एंटी ड्रोन तकनीक नहीं लगाई जा रही है। केन्द्र व राज्य सरकार के बीच आम मुद्दों पर तो पेच फंसा ही रहता है, वहीं सुरक्षा के मामले में भी यह पेंच फंसा साफ नजर आता है।

केन्द्रीय एजैंसियों के दफ्तर खुलने से लगेगी लगाम
केन्द्र सरकार की तरफ से अमृतसर में कुछ बड़ी सुरक्षा एजैंसियों के दफ्तर खोलने की घोषणा की गई है। इन एजैंसियों के दफ्तर खुलने से चिट्टे की तस्करी पर काफी हद तक लगाम लगने की संभावना बन सकती है, क्योंकि आमतौर पर सीमावर्ती इलाकों में ऐसे लोग तस्करी कर रहे होते हैं, जो किसी न किसी बड़े नेता की छत्रछाया में होते हैं। कुछ मामलों में तो बड़े नेताओं के नाम तक के भी खुलासे हो चुके हैं।

डी.आर.आई. व कस्टम विभाग की भूमिका भी संदिग्ध

पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में चिट्टे की तस्करी रोकने के लिए डी.आर.आई. व कस्टम विभाग का काफी नाम रहा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से उक्त दोनों विभागों की भूमिका काफी संदिग्ध रही है। बड़े-बड़े केस बनाने वाली डी.आर.आई. व कस्टम विभाग तस्करों व तस्करी रोकने के मामले में पिछड़ा नजर आ रहा है। मानो अधिकारियों में इच्छा शक्ति की कमी आ गई हो।

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