Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Sep, 2017 01:13 PM
सुबह करीब 3.45 बजे प्रसव के लिए महिला को लेकर आए परिवार को स्वास्थ्य केंद्र लोपोके में तैनात स्टाफ ने दुव्र्यवहार करते हुए प्रसव कराने से इंकार कर दिया व अस्पताल से बाहर निकाल दिया।
लोपोके (सतनाम): सुबह करीब 3.45 बजे प्रसव के लिए महिला को लेकर आए परिवार को स्वास्थ्य केंद्र लोपोके में तैनात स्टाफ ने दुव्र्यवहार करते हुए प्रसव कराने से इंकार कर दिया व अस्पताल से बाहर निकाल दिया। इसके कुछ ही देर के बाद दर्द से कराह रही महिला ने खुले आसमान के नीचे एक बच्ची को जन्म दे दिया।
नंबरदार रणजीत सिंह राणा ने इस घटना की सूचना तुरंत पत्रकारों को फोन पर दी। मौके पर पहुंचे पत्रकारों को पीड़ित महिला गुरप्रीत कौर के ससुर मकबूल सिंह निवासी गांव मुद्ध खोखर ने बताया कि वह रात 2.30 बजे अपनी बहू गुरप्रीत कौर का प्रसव करवाने के लिए उक्त स्वास्थ्य केंद्र के लिए रवाना हुए व गांव की आशा वर्कर को लाने के लिए 2 व्यक्ति भेजे परन्तु उसने दरवाजा ही नहीं खोला। जब वह 3.45 बजे उक्त स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचे तो वहां स्टाफ ने यह कह कर उन्हें अंदर नहीं जाने दिया कि आप आशा वर्कर को साथ ले कर क्यों नहीं आए। इस दौरान गुरप्रीत प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी।
यहां तक कि किसी स्टाफ सदस्य ने गुरप्रीत को अस्पताल में खाली पड़े बैड तक नहीं जाने दिया और न ही प्राथमिक सहायता दी व न ही किसी अन्य अस्पताल में ले जाने के लिए कहा बल्कि स्टाफ नर्स दविन्द्र कौर और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सोम नाथ उनके साथ बहस करते रहे। इसी दौरान पीड़ा से बेहाल गुरप्रीत को अस्पताल के बाहर आंगन में खुले आसमान के नीचे रखा गया तो उसने बच्ची को जन्म दे दिया। स्टाफ को जब बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी तो उन्हें हाथ-पैरों की पड़ गई। ग्राऊंड में फर्श पर लहूलुहान हुई गुरप्रीत कौर को परिजनों ने खाट पर लिटाया।
रिपोर्टें होतीं व रिजनल आशा वर्कर से बात करवा देते तो करवाई जा सकती थी डिलीवरी : स्टाफ
पत्रकारों ने जब अस्पताल स्टाफ के साथ बातचीत की तो उन्होंने कहा कि रिपोर्टें होतीं व महिला के परिजन आशा वर्कर के साथ बात करवा देते तो डिलीवरी केस किया जा सकता था। अस्पताल स्टाफ ने कहा कि उक्त महिला का खून 7 ग्राम था। डिलीवरी दौरान महिला की जान को खतरा भी हो सकता था। हमारे पास ब्लड का भी कोई प्रबंध नहीं है।