सिद्धू की दखलअंदाजी से बचे इम्पू्रवमैंट ट्रस्टों का भविष्य खतरे में

Edited By Updated: 20 Mar, 2017 12:41 PM

the future of improvant trusts in danger

पंजाब मंत्रिमंडल द्वारा शनिवार को चंडीगढ़ में की प्रभावशाली मीटिंग में वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल द्वारा राज्यभर की इम्पू्रवमैंट ट्रस्टों को खत्म

लुधियाना (पंकज): पंजाब मंत्रिमंडल द्वारा शनिवार को चंडीगढ़ में की प्रभावशाली मीटिंग में वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल द्वारा राज्यभर की इम्पू्रवमैंट ट्रस्टों को खत्म करने संबंधी चुनावी मैनीफैस्टो में शामिल मुद्दे को बेशक स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की दखलअंदाजी से ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। अगर इस संबंधी भविष्य में बनने जा रही जमीनी रिपोर्ट ट्रस्टों की कारगुजारी के विपरीत होगी तो इनका दूसरे विभाग में विलय सुनिश्चित है। मंत्रिमंडल में बाकी मुद्दों के अलावा जब ट्रस्टों को खत्म करने संबंधी मुद्दे की खबर पंजाबभर की इम्पू्रवमैंट ट्रस्टों में तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों को लगी तो एक बार तो उनकी नींद ही उड़ गई परंतु सिद्धू द्वारा बिना जमीनी हकीकत जाने इनको मर्ज करने का रिस्क न उठाने संबंधी उठाए मामले उपरांत जब इस मामले को कुछ समय के लिए मंत्रिमंडल द्वारा आगे सरकाने का निर्णय किया गया तो इसकी भनक लगने पर ट्रस्टों के स्टाफ ने राहत की सांस ली। 

अदालतों का दरवाजा खटखटाना आम बात
बेशक यह मामला अभी ठंडा पड़ गया है परंतु इसका यह मतलब नहीं कि भविष्य में इस पर सरकार फैसला नहीं करेगी। शहरी क्षेत्रों में लोगों की रिहायशी अथवा कमर्शियल प्रॉपर्टियां उपलब्ध करवाने का काम मौजूदा समय में इम्पू्रवमैंट ट्रस्टों सहित ग्माडा या ग्लाडा जैसे विभागों के पास है परंतु ट्रस्टों में जिस तरह नीचे से लेकर ऊपर तक भ्रष्टाचार का बोलबाला है, वह बात किसी से छिपी नहीं है। इस सिस्टम से दुखी आम जनता द्वारा इंसाफ प्राप्ति के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटाया जाना आम बात है। कई मामलों में तो अधिकारी निजी लालच के चलते अदालती आदेशों की भी परवाह नहीं करते हैं। 

सिद्धू की दखलअंदाजी से ट्रस्टों के अस्तित्व पर लटकी तलवार हटी
यही वजह है कि बादल व उनकी टीम द्वारा चुनावी मैनीफैस्टो बनाते समय ट्रस्टों को दूसरे विभागों में मर्ज करने का फैसला किया गया था ताकि एक तो इन दफ्तरों में तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों को दूसरे विभागों में तैनात कर स्टाफ की कमी की भरपाई की जा सके और दूसरा एक ही शहर में सरकार के अधिकार में दो अलग-अलग विभागों का औचित्य ही नहीं रह जाता, जिनका काम एक जैसा है। बहरहाल, अभी तो सिद्धू की दखलअंदाजी से ट्रस्टों के अस्तित्व पर लटकी तलवार हट गई है परंतु भविष्य में ऐसा शायद ही हो। अगर विभाग व सरकार द्वारा इस संबंधी गठित की जाने वाली कमेटी ट्रस्टों के अस्तित्व पर उंगली उठाती है तो वह दिन दूर नहीं, जब पंजाब में इम्पू्रवमैंट ट्रस्ट इतिहास का हिस्सा बन जाएंगे।

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