...शहीदों की प्रतिमाओं के पैरों को रस्सियों से बांधकर की जाती है सजावट

Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Sep, 2017 03:11 PM

the feet of the martyrs   statues are tied to ropes decorations

देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद करवाने हेतु असंख्य क्रांतिकारियों, देशभक्तों ने अपना बलिदान दिया। उनके बलिदानों के कारण ही हम आजादी का आनंद ले रहे हैं। दूसरी तरफ कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो शहीदों को लगभग भूल चुके हैं।

अमृतसर (कक्कड़): देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद करवाने हेतु असंख्य क्रांतिकारियों, देशभक्तों ने अपना बलिदान दिया। उनके बलिदानों के कारण ही हम आजादी का आनंद ले रहे हैं। दूसरी तरफ कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो शहीदों को लगभग भूल चुके हैं।

वे देश पर मर मिटने वाले जिन क्रांतिकारियों, शहीदों की प्रतिमाओं को यहां पुष्प अर्पित कर उनको श्रद्धांजलि भेंट करते हैं, उन्हीं के चरणों को रस्सियों से बांधा जाता है।  इस संबंधी नगर के प्रमुख चौराहों स्थानीय हाल गेट चौराहे में शहीद ऊधम सिंह की प्रतिमा और भंडारी पुल पर लगी नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा के पांवों को रस्सियों से बांधा गया है। 

वर्णनीय है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, बल्कि उन शहीदों का ऐसा अपमान पहले भी कई बार किया जा चुका है। महानगर के भंडारी पुल, हाल गेट व अन्य स्थानों पर किसी पर्व या अन्य मौकों पर रंग-बिरंगे जाल को बांधकर उक्त चौराहों की सजावट की जाती है, लेकिन सजावट करने वाले लोग उस चौक पर लगी शहीद की प्रतिमा के पांवों में रस्सी बांध देते हैं, जिससे उन शहीदों का अपमान होता है। 
 

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