निजी बस वालों का कारनामा, मुफ्त सुविधा की आड़ में महिला यात्रियों को ऐसे कर रहे गुमराह

Edited By Urmila,Updated: 02 Mar, 2024 05:46 PM

the exploits of private bus drivers

महिला यात्रियों का कहना है कि सरकार द्वारा महिला यात्रियों को बसों में सफर करने की दी गई मुफ्त सुविधा से प्रभावित निजी बस मालिकों ने अब अपने आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए नया तरीका ढूंढ लिया है।

बाघा पुराना: निजी बस मालिकों द्वारा अपनी बसों को सरकारी बसों जैसा बना लेने पर महिला यात्रियों लाल-पीली हो रखी हैं। महिला यात्रियों का कहना है कि सरकार द्वारा महिला यात्रियों को बसों में सफर करने की दी गई मुफ्त सुविधा से प्रभावित निजी बस मालिकों ने अब अपने आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए नया तरीका ढूंढ लिया है। महिला यात्रियों ने आरोप लगाया कि अब  निजी बसों वाले ने महिला यात्रियों को बसों में चढ़ाने के लिए सरकारी बसों (पेप्सू) समान रंग करवा लिया है ताकि वह   सरकारी बसों जैसी दिखें और महिलाओं को धोखे से बसों में चढ़ा लें।

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महिलाओं का कहना है कि निजी बसों के चालकों ने महिलाओं के समूह को खड़ा देखा तो बसें भगा लेते थे।  अब ऐसी बसों के चालक बस अड्डे पर महिला यात्रियों के समूह के पास बस रोक कर जल्दी से  महिलाओं को चढ़ा कर चलते बनते हैं। बस वाले टिकटें भी तब लेना शुरू करते हैं जब बस मेन अड्डे से महज 4-5 किलोमीटर दूर  चली जाती है। धोखा खाई महिला यात्री जब सरकारी बसें में बैठी समझकर आधार कार्ड कंडक्टर के आगे करती हैं तब कंडक्टर ऐसी सवारियों को निजी बस कहकर पैसे देने के लिए कहते हैं। नौबत तू-तू मैं-मैं पर आ जाती है।  आखिरकार महिला यात्रियों को अपने गंतव्य तक जाने का किराया देना ही पड़ता है।

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यदि कोई महिला यात्री अपने गंतव्य से पहले उतरना चाहता है तो उसे उस स्टेशन तक का किराया देना ही पड़ता है जहां वह उतरना चाहती है। निजी बस मालिकों की ऐसी चालों के आगे महिला यात्रियों को घुटने टेकने पड़ते हैं। यहां बस स्टैंड पर खड़ी महिलाएं बलवीर कौर, नीलम रानी, ​​कुलवंत कौर, सीमा, पुष्पा रानी और हरसिमरन कौर ने कहा कि निजी बसें चाहे किसी भी रंग किया हो, उनके कंडक्टरों को यह स्पष्ट करना होगा कि यह बस निजी है और प्रत्येक यात्री को किराया देना होगा।

महिला ने कहा कि लेकिन ऐसा नहीं किया जाता है क्योंकि निजी बस चालक/मालिक महिला यात्रियों को बस में चढ़ने के लिए गुमराह करते हैं और पहले से ही टिकट वसूलने की योजना बना लेते हैं। महिलाओं ने कहा कि सरकार को चाहिए कि जैसे स्कूल की बसों को पीला रंग निर्धारित किया गया है, ठीक वैसे ही इसी तरह निजी बसों के लिए भी कोई निश्चित रंग निर्धारित किया जाए ताकि कोई भी यात्री गुमराह न हो सके।

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वह रंग के लिए पाबंध नहीं: बस ड्राइवर

उधर, प्राइवेट बसों के मालिकों/ड्राइवरों और कंडक्टरों का कहना है कि यह किसी तरह की कोई चालाकी नहीं है बल्कि यह उनकी अपनी मर्जी और उनका अधिकार है कि वे अपनी बस को जैसा चाहें वैसा रंग करा सकते हैं। उन्होंने महिलाओं के आरोपों का खुलकर खंडन किया और कहा कि महिलाओं को खुद समझना चाहिए कि वे किस बस में चढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को मुफ्त यात्रा की सुविधा लेने के लिए  बस में चढ़ते समय खुद भी सजग रहना चाहिए।

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