जच्चा-बच्चा की मौत दर पर लगेगा अंकुश, स्वास्थ्य विभाग ने उठाया यह कदम

Edited By Subhash Kapoor,Updated: 04 Mar, 2022 05:53 PM

the death rate of mother and child will be curbed

सरकारी अस्पतालों में अब जच्चा-बच्चा की मौत पर अंकुश लगेगा।

अमृतसर (दलजीत शर्मा) : सरकारी अस्पतालों में अब जच्चा-बच्चा की मौत पर अंकुश लगेगा। गर्भवती महिला का इलाज करने वाले डॉक्टर अब 4 महीने पहले ही मरीज को बता देंगे कि उसका सिजेरियन होना है या नॉर्मल डिलीवरी होनी है। इसके अलावा 9 महीने लगातार स्वास्थ्य विभाग गर्भवती महिला का ध्यान रखते हुए उसका फॉलो करता रहेगा। यदि डिलीवरी के दौरान गर्भवती की या उसके बच्चे की मौत होती है तो उसका जिम्मेदार अस्पताल का सीनियर मैडीकल अधिकारी होगा। 

जानकारी अनुसार पंजाब में सरकारी अस्पतालों में जच्चा-बच्चा की मौत दर लगातार बढ़ रही है। गर्भवती महिलाओं को मौके पर डॉक्टर द्वारा बताया जाता है कि उनकी डिलीवरी सिजेरियन होनी है। सर्जरी अन डिलीवरी करवाने के लिए मरीज तथा उसके परिजन अक्सर ही मौके पर इधर-उधर भटकते रहते हैं। कई बार तो गर्भवती सहित बच्चे की मौत हो जाती है। वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन द्वारा किए गए इस अध्ययन से सामने आया है कि 27 फीसदी गर्भवती महिलाओं की ट्रांसपोर्टेशन में मौत हो जाती है। सिविल सर्जन डा. चरणजीत सिंह ने बताया कि जिले में जच्चा-बच्चा की मौत दर में पिछले कुछ दिनों से काफी सुधार हुआ है। जच्चा-बच्चा की कीमती जानों को सुरक्षित करने के लिए कड़े नियम बनाए गए हैं।

गर्भवती महिला की निशुल्क होगी डिलीवरी तथा 9 महीने मुफ्त में होगी जांच
उन्होंने बताया कि जब गर्भवती महिला दूसरे महीने में अस्पताल में आएगी तो संबंधित डॉक्टर उसका गहनता से जांच करेगा तथा उसके सभी टैस्ट करवाएगा। उसके बाद जब दोबारा गर्भवती महिला अस्पताल में आएगी तो उसका बकायदा अल्ट्रासाउंड करवाया जाएगा। उसके फिर टैस्ट करवाए जाएंगे, सभी टैस्ट तथा जांच निशुल्क की जाएगी। इसके अलावा आशा वर्कर लगातार मरीज के संपर्क में रहेगी तथा उसकी मॉनिटरिंग करती रहेगी।  मरीज का जब छठा महीना शुरू होगा तो जांच कर रहा डॉक्टर मरीज को पहले ही बता देगा कि उसकी डिलीवरी नॉर्मल होगी या सर्जरी। यदि सिजेरियन होगी तो उसे छोटे सब सैंटर से सिविल अस्पताल में भेजा जाएगा, जबकि सिविल अस्पताल में दाखिल गर्भवती की वहीं पर डिलीवरी होगी। इसके अलावा नॉर्मल डिलीवरी सब सैंटर तथा बाकी सभी सरकारी अस्पतालों में होगी। इस दौरान गर्भवती महिलाओं से कोई भी पैसा नहीं लिया जाएगा। सभी टेस्ट मुफ्त में किए जाएंगे। 

जच्चा-बच्चा की मौत के लिए एस.एम.ओ. होगा जवाब देह
सिविल सर्जन ने बताया कि इस संबंध में जिले के सभी सीनियर मैडीकल अधिकारियों को दिशा-निर्देश भी आज जारी कर दिए गए हैं। अधिकारियों को स्पष्ट किया गया है कि अगर किसी जच्चा-बच्चा की मौत होती है तो वह संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होंगे। इसके अलावा जिला परिवार भलाई अधिकारी डा. जसप्रीत शर्मा के नेतृत्व में विशेष टीम का गठन किया गया है जोकि समय-समय पर अस्पतालों का निरीक्षण करते हुए रिकॉर्ड की जांच भी करेगी

9 महीने गर्भवती महिलाओं की मॉनिटरिंग के लिए आशा वर्करों को मेहनताना देगा विभाग
उन्होंने बताया कि आशा वर्करों को गर्भवती महिला की लगातार 9 महीने मॉनिटरिंग के लिए मेहनताना भी स्वास्थ्य विभाग देगा। सिविल सर्जन के अनुसार यदि किसी गर्भवती महिला को इलाज के दौरान या डिलीवरी के दौरान कोई समस्या आती है तो वह सीधे सिविल सर्जन कार्यालय में उनसे संपर्क कर सकते हैं। डा. चरणजीत ने बताया कि विभाग के लिए हर मरीज की जान बहुत कीमती है। इसके अलावा नव जन्मे बच्चों का टीकाकरण भी लगातार जब वह बड़े नहीं हो जाते तब तक विभाग द्वारा निःशुल्क किया जाता है। सिविल सर्जन ने बताया कि जिले में सेहत सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए विभाग पूरी तरह से प्रयासरत है। 

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