सिंथैटिक ड्रग्स माफिया का पंजाब में बड़ा खेल, जालंधर और लुधियाना बने हब

Edited By Anjna,Updated: 29 Jun, 2018 08:52 AM

synthetic drugs mafia big game in punjab

सिंथैटिक ड्रग माफिया पंजाब में बड़ा खेल रहा है। पंजाब में बीते दिनों ड्रग्स की ओवरडोज के कारण जो मौतें हुई हैं उनमें अधिकांश मौतें सिंथैटिक ड्रग्स के कारण हुई हैं। वहीं सिंथैटिक ड्रग्स बाजार में बड़ी आसानी से उपलब्ध हो रहा है और हैरोइन, चरस और अफीम...

जालंधर (बहल, सोमनाथ): सिंथैटिक ड्रग माफिया पंजाब में बड़ा खेल रहा है। पंजाब में बीते दिनों ड्रग्स की ओवरडोज के कारण जो मौतें हुई हैं उनमें अधिकांश मौतें सिंथैटिक ड्रग्स के कारण हुई हैं। वहीं सिंथैटिक ड्रग्स बाजार में बड़ी आसानी से उपलब्ध हो रहा है और हैरोइन, चरस और अफीम के मुकाबले इसकी खपत भी ज्यादा है। हैरोइन और अफीम तो पंजाब में सीमा पार से आ रही हैं लेकिन देश के अंदर से ही तैयार होकर सिंथैटिक ड्रग्स प्रदेश में सप्लाई हो रहा है जो कि पंजाब की जवानी को लील रहा है। सूत्रों का कहना है कि सरकारी सिस्टम में सक्रिय कुछ लोग इस माफिया के साथ मिले हुए हैं जिसके चलते जालंधर और लुधियाना सिंथैटिक ड्रग्स के हब बन गए हैं।
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ऐसे आता है माल 
रेलवे सिंथैटिक ड्रग्स की सप्लाई का मुख्य जरिया बना हुआ है। इस धंधे से जुड़े लोग रेलगाडिय़ों में बिना बिल और बिना बिल्टी के सामान के साथ सिंथैटिक ड्रग्स भी इधर-उधर कर रहे हैं। दो नंबर में बिना बिल और बिल्टी के इधर-उधर हो रहे सामान पर कुछ ट्रांसपोर्टर हजारों रुपए कमा रहे हैं। ट्रांसपोर्ट के समय ऐसे सामान की पैकिंग पर एक खास मार्का लगा दिया जाता है। जैसे जेम्स बांड और सुपरमैन। ऐसा मार्का लगने पर जब यह माल यहां पहुंचता है तो संबंधित व्यक्ति को उसकी सूचना पहुंच जाती है और बड़ी ही होशियारी से रेलवे स्टेशन से माल बाहर आ जाता है। 
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हैल्थ विभाग और सेल टैक्स विभाग की काली भेड़ें मिली हैं माफिया के साथ 
ये सिंथैटिक ड्रग्स (दवाइयां) बिना बिल के पंजाब में आती हैं। इस तरह से इससे सरकार को करोड़ों रुपए के टैक्स का चूना लगता है। सूत्रों का कहना है कि यह सारा काम हैल्थ और सेल टैक्स विभाग में कुछ काली भेड़ों के माध्यम से बड़ी आसानी से हो रहा है। सूत्रों का कहना है कि कई मामले तो ऐसे हैं जिनमें कोई कैमिस्ट पकड़ा भी गया तो उसका लाइसैंस रद्द हो गया और मिलीभगत के बाद इस कैमिस्ट के परिवार के किसी दूसरे सदस्य को नया लाइसैंस दे दिया गया जिससे उसका काम चलता रहे।
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सूत्रों का कहना है कि जालंधर में ऐसे 4 बड़े गैंग काम रहे हैं। सबसे ज्यादा लुधियाना में यह काम चल रहा है। जालंधर में एक ऐसी काली भेड़ की चर्चा काफी रही है। महानुभाव एक बड़े नेता का खास है। इसने पिछले कुछ समय में करोड़ों रुपए की संपत्ति बनाई है। सूत्रों के अनुसार पिछली सरकार में एक आला अफसर ने इसको और इसके एक साथी को पकडऩे की कई बार कोशिश भी की थी। ये लोग एक बड़े नेता की गाड़ी में राजस्थान, दिल्ली और यू.पी. से सिंथैटिक ड्रग्स लेकर यहां आते रहते थे। 
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कोड वर्ड्स में सारा काम 
जालंधर, लुधियाना, अमृतसर और पठानकोट में सिंथैटिक ड्रग्स के कई खिलाड़ी सक्रिय हैं। यह माल कोड वर्ड्स में बेचा जाता है। इस धंधे से जुड़े लोगों ने अपने गोदाम शहर से बाहर बनाए हुए हैं। यह माल केवल पक्के दुकानदारों को ही दिया जाता है जो इनके पुराने जानकार हैं। इनसे भी ये कोड वडर््स में बात करते हैं। माल की डिलीवरी देर रात को दी जाती है। नए दुकानदार को ये माल नहीं देते हैं। इनका फोकस आसपास के गांव और कस्बे होते हैं। जालंधर से दोआबा और माझा तक यह माल जाता है, इसी तरह से लुधियाना से मालवा में माल जाता है। 

हिमाचल, हरियाणा और दिल्ली से पंजाब आ रही सिंथैटिक ड्रग्स 
पंजाब में अपनी जड़ें मजबूत कर चुकी सिंथैटिक ड्रग्स की सप्लाई पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली जैसे शहरों से हो रही है। पंजाब पिछले कुछ समय से इसकी बड़ी मंडी के रूप में विकसित हो गया है। कुछ साल पहले हिमाचल में सिंथैटिक ड्रग्स बनाने के लिए एक बड़ी लैबोरेटरी भी पकड़ी जा चुकी है। 

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