Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Jan, 2018 09:10 AM
चर्चा है कि पावर गेम के लिए सुरेश कुमार प्रकरण में कुछ लोगों में ब्लैक मैजिक तक का प्रयोग हुआ है।
जालंधर (राकेश बहल, सोमनाथ कैंथ): चर्चा है कि पावर गेम के लिए सुरेश कुमार प्रकरण में कुछ लोगों में ब्लैक मैजिक तक का प्रयोग हुआ है। इस प्रकरण में सी.एम. के एक करीबी सैल्फगोल कर बैठे हैं। तंत्र-मंत्र में विश्वास रखने वाले उक्त महोदय ने सुरेश कुमार को मात देने के लिए इस का सहारा लिया था। यह महोदय इसके लिए काफी मशहूर हैं। उक्त करीबी हर साल कैप्टन अमरेंद्र सिंह के ग्रह टालने के लिए तंत्र का सहारा लेते हैं। हवन यज्ञ करवा कर पेठे की बलि देते हैं। यह तंत्र का एक तरीका है। इस महोदय ने ही एक खास पंडित से सुरेश कुमार का नुक्सान करने के लिए हवन करवाया था। ऐसी चर्चा है कि यह हवन करवाने के बाद इनका हौसला बढ़ गया था।
उक्त महोदय को सुरेश कुमार का टेवा मालूम होने के चलते उसे मालूम था कि मंगलवार को टेवे में ग्रह बदल रहे हैं। इसके हिसाब से वार करने की रणनीति तैयार की थी। चर्चा तो यह भी है कि पंडित को यह भी कहा गया था कि ऐसे उपाय करें कि सुरेश कुमार इतने परेशान हो जाएं कि वे खुद ही मैदान छोड़ दें लेकिन सियासी माहिर इसे दुश्मन को नुक्सान पहुंचाए जाने से ज्यादा अपनों का नुक्सान ही मानते हैं।
एक दिन पहले रखी थी बड़ी पार्टी
यही नहीं उक्त करीबी ने फैसला आने से एक दिन पहले पार्टी रख कर एडवांस में इसका जश्न तक मनाया। पार्टी में जाम से जाम टकराए गए। सूत्रों का कहना है कि पार्टी में इस महोदय ने अपने खास दोस्तों के साथ-साथ कुछ अफसरों को भी बुलाया था। सूत्रों का कहना है कि पार्टी एक दिन पहले इसलिए रखी गई क्योंकि अगर फैसला आने के बाद पार्टी होती तो इसकी चर्चा होती। क्योंकि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह सुरेश कुमार को पसंद करते हैं तो उनके कोप का शिकार होना पड़ता। ये पार्टी देर रात तक चलती रही। सुबह जब ये फैसला आया तब भी यह महोदय सुरूर में थे। इसलिए जब किसी ने फोन कर सूचना दी तो इन महोदय ने बोल दिया-मैनूं पता ए सियापा मुक गया।
एक रिश्तेदारों की जोड़ी भी इसमें शामिल
इस मामले की परतें खुलने पर कुछ चौंकाने वाले नाम सामने आ रहे हैं। इनमें दो रिश्तेदारों के नाम भी सामने आए हैं जो काफी प्रभावशाली हैं। दोनों का दुश्मन एक इसलिए मिल कर हमला किया। सूत्रों का कहना है कि एक ने सचिवालय में रह कर काम किया व दूसरे ने दूसरा मोर्चा संभाला।
साम, दंड और भेद का प्रयोग
सी.एम. ऑफिस की सत्ता यानी पंजाब की सत्ता। सुरेश कुमार को रास्ते से हटाने के लिए साम, दंड और भेद तीनों का एक साथ प्रयोग। तंत्र का सहारा एक नहीं दो दुश्मनों ने लिया। सुरेश कुमार के दुश्मन 1-2 नहीं कई हो गए थे।
सुरेश कुमार के दुश्मनों में कैप्टन के राजनीतिक विरोधी भी
ये मामला केवल अफसरों की आपसी लड़ाई तक सीमित नहीं है। इस प्रकरण में कैप्टन के पार्टी के अंदर के राजनीतिक विरोधी भी शामिल हैं। ये विरोधी सुरेश कुमार को किसी भी कीमत पर हटाना चाहते थे जिससे सी.एम. का दफ्तर फिर विवादों में आ सके। इसलिए इन नेताओं ने सुरेश कुमार के विरोधी अफसरों को हवा दी व यह आश्वासन दिया कि समय आने पर उनकी पूरी मदद की जाएगी।
माता बगलामुखी मंदिर में एक अफसर ने करवाए 2 हवन
यह भी चर्चा है कि एक बड़े आदमी ने एक सरकारी कमीशन के सदस्य, जोकि ज्योतिष भी जानते हैं, के साथ मिलकर माता बगलामुखी में 2 हवन करवाए थे। इंडस्ट्रीयल शहर से संबंधित इस सदस्य को बगलामुखी हवन करवाने का माहिर माना जाता है। इस बड़े आदमी के कमीशन सदस्य के साथ पुराने संबंध हैं। अकाली सरकार के दौरान इसकी सहायता से ये पद उनको मिला था। इसलिए सुरेश कुमार से बदला लेने के लिए इसने मदद की। ये हवन बड़ा सोच-समझकर करवाए गए। एक हवन तो दीवाली के दिनों में करवाया गया। पीले कपड़े पहन कर देर रात हिमाचल प्रदेश माता बगलामुखी मंदिर में करवाया गया।