Edited By Updated: 27 Apr, 2017 01:56 AM
जुलाई-अगस्त महीने में संभावित राष्ट्रपति पद के चुनाव को देखते हुए कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने .....
जालंधर(धवन): जुलाई-अगस्त महीने में संभावित राष्ट्रपति पद के चुनाव को देखते हुए कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने विपक्षी एकता के लिए अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बाद वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेताओं को भी साथ मिलाने के लिए बातचीत शुरू कर दी है। सोनिया गांधी ने सी.पी.एम. के प्रमुख सीताराम येचुरी के साथ भी विपक्षी एकता को लेकर बातचीत की है।
बताया जाता है कि विपक्ष को एक प्लेटफार्म पर लाने की जिम्मेदारी सोनिया गांधी ने अपने हाथों में ली है, क्योंकि नीतीश कुमार ने पिछले दिनों सोनिया से मुलाकात कर कहा था कि राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते सोनिया को समूचे विपक्ष को एक प्लेटफार्म पर लाना चाहिए। 2004 के लोकसभा चुनाव के समय भी तत्कालीन केन्द्र की भाजपा सरकार के खिलाफ सोनिया ने कांग्रेस, सहयोगी दलों तथा वामपंथी दलों को एक प्लेटफार्म पर इकट्ठा करने में सफलता हासिल की थी।
भाजपा को हाल ही में कई राज्य विधानसभा चुनावों में मिली सफलता को ध्यान में रखते हुए सोनिया ने उक्त प्रयास शुरू किए हैं। भाजपा को लगातार मिल रही सफलता को देखते हुए वामपंथी दलों को कांग्रेस के निकट लाने के लिए सोनिया प्रयासरत है। व्यापक विपक्षी दलों में एकता लाने के लिए भी उन्होंने 10 जनपथ पर अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। 2004 में केन्द्र में वाजपेयी सरकार थी, उस समय भी कांग्रेस व वामपंथी दलों के निकट आने के अच्छे नतीजे सामने आए थे। अब केन्द्र में मोदी सरकार है, तो उसे देखते हुए सोनिया विपक्षी एकता के लिए प्रयासरत हैं।
सोनिया गांधी ने पिछले दिनों नीतीश कुमार, सी.पी.एम. प्रमुख सीताराम येचुरी, जद (यू) नेता शरद यादव तथा एन.सी.पी. प्रमुख शरद पवार के साथ बातचीत की है। सोनिया अब तृणमूल कांग्रेस प्रमुख व पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, डी.एम.के. नेता करुणानिधि-स्टालिन, एन.सी. प्रमुख फारूक अब्दुल्ला व कई अन्य नेताओं के साथ भी आने वाले दिनों में बातचीत करने जा रही हैं।
कांग्रेस अब तक उड़ीसा में नवीन पटनायक की पार्टी बी.जे.डी. से बातचीत करने से कतराती रही है परन्तु आने वाले दिनों में उनसे भी बातचीत हो सकती है। इसी तरह से आंध्र प्रदेश में वाई.एस.आर. कांगे्रस के प्रमुख जगनमोहन रैड्डी को भी साथ मिलाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। कांग्रेसी हलकों का मानना है कि विपक्षी एकता को आगे बढ़ाने के लिए सोनिया द्वारा इसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी की शमूलियत को भी आगे शामिल किया जा सकता है।