Edited By Updated: 19 May, 2017 12:41 PM
कनाडा के पी.एम. जस्टिन ट्रुडो ने भारतीयों से जुड़ी कामागाटा मारू घटना के लिए संसद में गत वर्ष माफी मांगी थी।
जालंधरः कनाडा के पी.एम. जस्टिन ट्रुडो ने भारतीयों से जुड़ी कामागाटा मारू घटना के लिए संसद में गत वर्ष माफी मांगी थी। 102 साल पहले कनाडा ने भारतीय प्रवासियों को लेकर पहुंचे कामागाटा मारू नाम के जहाज को वेंकूवर तट पर उतरने नहीं दिया था। 1914 में भारत के एक सिख बिजनेसमैन ने कनाडा में घुसने के लिए एक महीने तक समंदर में मूवमेंट चलाया था। ट्रुडो द्वारा माफी की पहल के बाद अब ब्रिटेन में रह रहे सिखों ने भी अपने शताब्दी वर्ष 2019 को मनाने से पहले जलियांवाला बाग नरसंहार पर ब्रिटेन संसद से औपचारिक माफी मांगने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं।
13 अप्रैल 1919 को बैसाखी वाले दिन मेले में सैकड़ों लोग एकत्र हुए जिन्हें जनरल डायर के अादेश ने मौत के अागोश में सुला दिया था। डायर अादेश अनुसार सैनिकों ने अंधाधुंध फायरिंग की जिसमें निहत्थे मासूम लोगों की मौत हो गई थी।
अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में 484 शहीदों की सूची है, जबकि जलियांवाला बाग में कुल 388 शहीदों की सूची है। ब्रिटिश राज के अभिलेख इस घटना में 200 लोगों के घायल होने और 379 लोगों के शहीद होने की बात स्वीकार करते है जिनमें से 337 पुरुष, 41 नाबालिग लड़के और एक 6-सप्ताह का बच्चा था। अनाधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 1000 से अधिक लोग मारे गए और 2000 से अधिक घायल हुए।
यूके स्थित इंडियन वर्कर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अवतार जोहल ने कहा कि इस बारे में एक बैठक 25 फरवरी को हुई थी और जलियांवाला बाग शताब्दी समिति का गठन किया गया था । इसके अलावा, एक ऑनलाइन याचिका शुरू की गई थी जिस अनुसार सिख गुरुद्वारों और देशभर के बाजारों में पर्चे वितरण किए जा रहे हैं। " उन्होंने कहा कि लगभग 20,000 लोगों ने याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं।