कैप्टन और सुखबीर की मूंछ का सवाल बनता जा रहा है शाहकोट

Edited By Vatika,Updated: 17 Apr, 2018 09:18 AM

shahkot assembly seat

शाहकोट विधानसभा सीट इस समय पंजाब में सत्ता आसीन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह व शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल के लिए मूंछ का सवाल बनता जा रहा है। शिरोमणि अकाली दल द्वारा इस सीट से स्व. जत्थेदार अजीत सिंह कोहाड़...

शाहकोट(अरुण): शाहकोट विधानसभा सीट इस समय पंजाब में सत्ता आसीन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह व शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल के लिए मूंछ का सवाल बनता जा रहा है। शिरोमणि अकाली दल द्वारा इस सीट से स्व. जत्थेदार अजीत सिंह कोहाड़ पूर्व कैबिनेट मंत्री पंजाब के बेटे नायब सिंह कोहाड़ को उम्मीदवार घोषित किया गया लेकिन इसके विपरीत कांग्रेस अभी तक अपना उम्मीदवार नहीं ऐलान कर पाई है।

कांग्रेस पार्टी द्वारा इस सीट से अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान न करना स्पष्ट संकेत देता है कि पूरे देश में दम तोड़ती जा रही पार्टी पंजाब में अपना दबदबा बनाए रखना चाहती है। कैप्टन सरकार के लिए यह चुनाव किसी बड़ी परीक्षा से कम नहीं है। सरकार में आने से लेकर अब तक किए गए काम, खासकर किसानों की कर्ज की माफी, हलके के विकास के लिए दी गई करोड़ों रुपए की ग्रांटों और अन्य ऐसे कई मुद्दे के साथ चुनाव प्रचार करेगी। कैप्टन अमरेंद्र सिंह अपने रिपोर्ट कार्ड में शाहकोट की हार दर्ज नहीं करना चाहते हैं। जहां तक उम्मीदवार के नाम के ऐलान की बात है तो पार्टी किसी बड़े राजनीतिक कद वाले नेता को अपना उम्मीदवार बना सकती है।शाहकोट हलका (पहले लोहियां) पर आज तक अकाली दल का कब्जा रहा है। केवल एक बार कांग्रेस उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी लेकिन उस समय अकाली दल ने चुनाव का बहिष्कार किया था।

अकाली दल के महारथी जत्थेदार अजीत सिंह कोहाड़ की अकाल मृत्यु के बाद कांग्रेस अपनी पूरी ताकत इस सीट पर लगा देगी। पिछली बार चुनावों में पूरे राज्य में अकाली दल को अपनी सहयोगी पार्टी भाजपा के साथ केवल 18 सीट मिल पाई थी, तब भी शाहकोट सीट से अकाली दल ने ही जीत दर्ज की थी। अकाली दल भले ही हाशिए पर चल रहा है लेकिन वह सीट जीतने के लिए दिन-रात एक करने से पीछे नहीं हटेगा। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल इस सीट पर विजय प्राप्त करने के लिए पंजाब 2022 के अपने मिशन की पहली सीढ़ी चढऩा चाहता है। हालांकि अकाली दल के पास हलके को देने व ऐलान करने हेतु कुछ नहीं है लेकिन सरकार के खिलाफ प्रचार करने के लिए बहुत कुछ है। अकाली दल वर्तमान सरकार के खिलाफ इलाके में रेत कारोबार, नौकरियों के मुद्दे, किसानों के कर्ज आदि मुद्दे जोर-शोर के साथ उठने के लिए तैयार है। 

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