बैंक गारंटी देने के पक्ष में नहीं राइस इंडस्ट्री व किसान

Edited By Des raj,Updated: 02 Sep, 2018 05:34 PM

rice industries and farmers not agree to give bank guarantee

भले ही केन्द्र तथा राज्य सरकारों द्वारा किसानों को सुविधाएं देने के लिए अनेकों तरह की योजनाएं देती आ रही हैं, लेकिन पंजाब सरकार को किसानों के वोट बैंक की तो चिंता है, लेकिन दूसरी ओर राज्य की राइस इंडस्ट्रीज की तरफ सरकारों का ध्यान नहीं है, जिस कारण...

जलालाबाद (सेतिया): भले ही केन्द्र तथा राज्य सरकारों द्वारा किसानों को सुविधाएं देने के लिए अनेकों तरह की योजनाएं देती आ रही हैं, लेकिन पंजाब सरकार को किसानों के वोट बैंक की तो चिंता है, लेकिन दूसरी ओर राज्य की राइस इंडस्ट्रीज की तरफ सरकारों का ध्यान नहीं है, जिस कारण उक्त इंडस्ट्रीज आए दिन आर्थिक पक्ष से पिछड़ रही है और अगर जल्द ही सरकार ने इंडस्ट्रीज को राहत नहीं तो भविष्य में सरकारों के लिए धान को स्टोर करने के लिए बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी।सरकार ने जो नए मापदंड सरकार धान को लगाने के लिए राइस इंडस्ट्रीज के लिए लागू किए हैं, उन मापदंडों को लागू करने के लिए राइस मिलर सक्षम नहीं हैं और ऐसी स्थिति में अब सरकार ओर राइस इंडस्ट्रीज के मध्य टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। 

नई पालिसी राइस मिल्लरों को मंजूर नहीं
अगले महीने मंडियों में धान लाने वाले किसानों के लिए अब से ही संकट खड़ा होना शुरू हो गया है। क्योंकि शैलर मालिकों ने सरकार द्वारा घोषित की गई नीति बैंक गारंटी देने के फैसले को माने जाने से बिल्कुल मना करते कहा है कि यदि इस शर्त को खत्म न किया गया तो शैलर मालिकों द्वारा शैलरों में धान लगवाया जाएगा और वह मंडियों में आने वाला धान संभाल लें। पिछले सीजन में करोड़ों रुपए का धान गायब होने का मामला सामने आने के बाद इस बार नई नीति में 5 प्रतिशत बैंक गारंटी देकर ही अक्तूबर में धान उठाने की शर्त साबित की थी, जबकि शैलर मालिकों का कहना था इसकी सजा सभी शैलर मालिकों को दी जा रही है व 5 प्रतिशत गारंटी देकर करोड़ों रुपए का धान सुरक्षित होने की पक्की गारंटी है?

पॉलिसी बनने से पहले सरकार ने राइस मिल्लरों से मांगे थे सुझाव
जलालाबाद शैलर के मालिकों के अनुसार नियमों के अनुसार इस मुद्दे को लेकर उनके सुझाव मांगे गए थे व जिनमें 98 प्रतिशत शैलर मालिकों ने बैंक गारंटी देने से मना किया था। इस तरह शैलर मालिकों ने बैंक गारंटी न देने का फैसला किया है व सरकार को भी इस साल मंडियों में आने वाले190 लाख मीट्रिक टन धान की संभाल करने का प्रबंध करने के लिए कह दिया है। इस समय केवल कृष्ण मुटनेजा, भुपिंदर सिंह, ब्रिज मोहन वाटस, सुमित अग्रवाल, रमन वलेचा, हरीश सेतिया, कपिल गुंबर, राकेश मिड्ढा, विक्की कुमार, साहिल मिड्ढा, आशीश कुमार, रोहित बजाज ने बताया कि समूह शैलर मालिक बिना बैंक गारंटी की शर्त पर शैलरों के अंदर धान की स्टोरेज करवाएंगे, यदि सरकार ने बैंक गारंटी वापिस न ली तो मजबूरन हमें हाथ खड़े करने पड़ेंगे व सिर्फ 17 प्रतिशत नमी वाला परमल धान ही खरीद किया जाएगा व ज्यादा नमी वाला धान नहीं उठाया जाएगा। 

15 अक्तूबर से सरकारी खरीद शुरू करने की मांग 
शैलर मालिकों ने पंजाब सरकार से मांग की कि धान की सरकारी खरीद 15 अक्तूबर को शुरू की जाए व इस साल पंजाब सरकार द्वारा किसानों को धान की बिजाई लेट करवाई गई व जिस कारण मंडियों में धान की आमद देरी से होगी।

बिजली दरों में की कटौती का नोटिफकेशन लागू करने की मांग
राइस मिल्लरों का कहना है कि पंजाब सरकार ने पिछले वर्ष कांग्रेस सरकार बनने के बाद राइस इंडस्ट्रीज को बिजली दरों में कटौती करने का ऐलान किया था, जिसमें कहा कि इंडस्ट्रीज से 5 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली बिल लिया जाएगा, लेकिन अभी तक पुरानी दरों के हिसाब से ही बिल वसूले जा रहे हैं, उनकी मांग है कि सरकार बिजली दरें कम करे।

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