Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Feb, 2018 02:15 PM
विदेशों में रहते कट्टरपंथी सिख 84 दंगों के साथ अन्य मुद्दों को लेकर भारत सरकार से बातचीत करने में गुप्त रूप से जुटे हुए हैं। इनमें मुख्य रूप से हरिमंदिर साहिब में सैन्य कार्रवाई के लिए विश्वस्तर पर माफी मांगने, अकाल तख्त तथा श्री हरिमंदिर साहिब को...
अमृतसरःविदेशों में रहते कट्टरपंथी सिख 84 दंगों के साथ अन्य मुद्दों को लेकर भारत सरकार से बातचीत करने में गुप्त रूप से जुटे हुए हैं। इनमें मुख्य रूप से हरिमंदिर साहिब में सैन्य कार्रवाई के लिए विश्वस्तर पर माफी मांगने, अकाल तख्त तथा श्री हरिमंदिर साहिब को विशेष दर्जा दिए जाने की मांग की गई है।
इस संबंधी एक सिख नेता ने कहा कि यू.के. में रहते सिख मानवाधिकार फोरम के जसदेव सिंह द्वारा सिखों के प्रतिमंडल के साथ नवम्बर 2015 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लंदन दौरे दौरान उनसे मुलाकात कर उनके समकक्ष आप्रेशन ब्लू स्टार के दौरान ब्लैकलिस्ट किए गए सिखों की बहाली के साथ भारत में जेलों में बंद सिख कैदियों की रिहाई तथा श्री हरिमंदिर साहिब में सैन्य कार्रवाई तथा जनसंहार के लिए विश्वस्तर पर माफी मांगने के मुद्दे रखे गए थे। इसके साथ ही अकाल तख्त तथा श्री हरिमंदिर साहिब की सर्वोच्चता को स्वीकार करते हुए वेटिकन के सामान एक विशेष दर्जा दिया जाने की मांग की गई थी।
इस पर सरकार ने उन्हें बताया था कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 1984 में सिख विरोधी दंगों के लिए 2011 में संसद में माफी मांगी थी। सिख नेताओं ने इसे यह कहते हुए नकार दिया कि यह माफी केवल "भारतीय सिखों" से मांगी गई थी। सरकार को विश्व स्तर पर सिखों से माफी मांगना चाहिए। एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय जनता पार्टी के महासचिव राम माधव और सिख समूहों के बीच नवंबर 2016 में टोरंटो में एक महत्वपूर्ण बैठक में कनाडाई अधिकारियों द्वारा बाधा के बावजूद सिख समूहों और सरकार के बीच नियमित संपर्क जारी है। अब देखना होगा कि क्या सरकार उनकी इन मांगों की मानती या नकारती है।