पंजाब के लोगों के लिए बड़ी चिंताभरी खबर, अगर अभी भी ना संभले तो....

Edited By Vatika,Updated: 21 May, 2025 01:34 PM

punjab water crisis

पंजाब जल संकट की कगार पर है।

चंडीगढ़ः पंजाब जल संकट की कगार पर है। प्रदेश के किसानों द्वारा खेतीबाड़ी के लिए किया जा रहा भूजल का अत्यधिक दोहन पंजाब की जमीन के अंदर जल को सूखा रहा है। शहरीकरण उद्योग और बढ़ती आबादी भी पानी का अत्यधिक इस्तेमाल कर रही है। पंजाब के अध्यधिक दोहन वाले 115  ब्लॉक के 45.96 प्रतिशत क्षेत्र का भूजल अब 15 मीटर नीचे पहुंच चुका है।

मौजूदा भूजल मूल्यांकन रिपोर्ट की मानें तो पंजाब का 75.16 प्रतिशत क्षेत्र अत्यधिक दोहन का शिकार हो चुका है और यहां से 156.87 प्रतिशत जल जमीन से निकाला जा रहा है। पंजाब के लुधियाना के 14, जालंधर, के 12, अमृतसर के 10, पटियाला के 9 संगरूर के 8, होशियारपुर के 6, कपूरथला के 5, बठिंडा के 5, मोगा के 5, फतेहगढ़ साहिब, फिरोजपुर के 3, एस.बी.एस. नगर के 3, फरीदकोट के 3, बरनाला के 3, मलेरकोटला के 2, मानसा के 2, रूपनगर के 2, फाजिल्का के 1, मोहाली के 1 ब्लॉक में खेती के लिए पानी का अत्यधिक दोहन किया जा रहा है। कुछ हिस्से में जरूरत से ज्यादा पानी मौजूद है तो कहीं पर कम। जमीन से पानी को खींचने के लिए 14.50 लाख से ज्यादा ट्यूबवैल काम कर रहे हैं। 

80 के दशक में सिर्फ 53 ब्लॉकों में था अधिक दोहन
वर्ष 1984 में पंजाब में ज्यादा पानी की खपत वाले ब्लॉकों की संख्या सिर्फ 53 थी, जो वर्ष 1999 में बढ़कर 73 हो गई। इसके बाद 2009 में यह संख्या 110, 2020 में 117 और अब 2024 में यह घटकर 115 रह गई है। वहीं, 1980 के दशक में पंजाब में सुरक्षित ब्लॉकों की संख्या 36 थी। 90 के दशक में यह संख्या बढ़कर 38 हो गई। वर्ष 2009 में सुरक्षित ब्लॉकों की संख्या घटकर 23, 2020 में 17 और 2024 में केवल 22 ब्लॉक ही सुरक्षित श्रेणी में बचे हैं।

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