पंजाब का उद्योग संकट में, सरकारी नीतियों से ही मिलती है अर्थव्यवस्था को मजबूती

Edited By Sunita sarangal,Updated: 01 Oct, 2021 04:58 PM

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अब मौजूदा कांग्रेस सरकार की समय सीमा खत्म होने वाली है और अब चुनाव मैदान में किस पार्टी को जीत मिलती है, उससे ही पंजाब के उद्योग व व्यापार का भविष्य तय होगा।

लुधियाना (धीमान): पंजाब में मची राजनीतिक उथल-पुथल से उद्योग व व्यापार जगत में घबराहट पैदा हो गई है। किसी राजनीतिक पार्टी का कोई मजबूत आधार बनता नजर न आने से कारोबारी परेशान हैं कि वे आने वाले दिनों में किस तरह अपना कारोबार चलाएंगे, क्योंकि सरकार की नीतियों से ही अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है। पंजाब में किस पार्टी की सरकार आएगी, यह अनुमान भी लगाना मुश्किल हो गया है।

उधर, मौजूदा कांग्रेस सरकार भी अपने 3 महीने का समय पूरा करेगी, इस पर भी कारोबारियों को संशय लग रहा है। पिछले साढ़े 4 साल से कारोबारी चिल्लाते आ रहे हैं कि विस्तार के लिए सरकार पुख्ता योजना पेश करे। नई इंडस्ट्री को पंजाब में लाने के लिए तो कई योजना पेश कर दी लेकिन पुरानी इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने के लिए किसी भी बजट में कोई प्रावधान नहीं रखा।

फास्टनर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के प्रधान राज कुमार सिंगला व फोपसिया के प्रधान बदीश जिंदल कहते हैं कि 5 रुपए प्रति यूनिट बिजली देने का चकमा देकर सरकार कारोबारियों को मूर्ख बनाती रही है। सिंगल विंडो सिस्टम की कमियों को दूर करने की बजाय अफसरों ने खुलेआम इसके अंदर इतनी विंडो बना दी कि छोटे-से छोटा काम भी बिना रिश्वत के नहीं होता।

जो अफसर रिश्वत के आरोप में पकड़े जाते हैं उन्हें विजीलैंस ने भी खानापूर्ति कर छोड़ दिया। जिन अधिकारियों की कारोबारियों द्वारा रिश्वत मांगने की शिकायत की गई, उनकी ही फैक्टरियों को ताले लगाने के लिए सरकार के अधिकारी पहुंच गए। बिजली के दाम भी अन्य राज्यों के मुकाबले कई गुणा ज्यादा हैं जिस पर सरकार से कई बार गुहार लगाई जा चुकी है, परंतु नतीजा 'ढाक के तीन पात' वाला ही रहा है। विकास के नाम पर इंफ्रास्ट्रक्चर इस कदर खस्ता है कि बड़े-बड़े कंटेनरों को सड़क पर पलटे हुए देखा जा सकता है जिससे निर्यात करने वाले कारोबारियों को करोड़ों का नुक्सान हुआ।

बार-बार सड़कों को दुरुस्त करने के लिए नगर निगम से कहा जाता रहा है लेकिन किसी ने भी नहीं सुनी। जी.एस.टी. विभाग के अफसरों ने तो बेगुनाह कारोबारियों को खूब निचोड़ा लेकिन जो करोड़ों रुपए का सरकार को चूना लगाकर भाग गए, उन्हें पकड़ने के लिए आज तक कोई योजना नहीं बनी बल्कि जिन कारेाबारियों ने बोगस बिलिंग करने वालों से माल खरीदा, उन्हें दोगुना जी.एस.टी. अदा करना पड़ा।

कारोबारी अफसरों से कहते रहे हैं कि जिस पार्टी से वह माल खरीद रहे हैं, वह असली बिल दे रही है या नकली उन्हें इसका कैसे मालूम होगा। इस पर विभाग को अपनी विजीलैंस तेज करनी चाहिए थी जोकि अफसर सिर्फ अपने ए.सी. दफ्तरों में बैठकर ही सही काम करने वालों को परेशान करते रहे। अब मौजूदा कांग्रेस सरकार की समय सीमा खत्म होने वाली है और अब चुनाव मैदान में किस पार्टी को जीत मिलती है, उससे ही पंजाब के उद्योग व व्यापार का भविष्य तय होगा।

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