नई मिलने से पहले ही पंजाब रोडवेज ने ‘कंडम’ कर दी 23 बसें

Edited By Tania pathak,Updated: 08 Jan, 2021 12:00 PM

punjab roadways destroyed 23 buses before getting new

पंजाब रोडवेज में नई बसें डालने की अप्रूवैल को लेकर विभाग ने सरकार को फाइल तो भिजवा दी है, लेकिन इसे मंजूरी मिलने और बसें खरीदने के प्रोसेस में कई माह का समय लग जाएगा।

जालंधर (पुनीत): पंजाब रोडवेज में नई बसें डालने की अप्रूवैल को लेकर विभाग ने सरकार को फाइल तो भिजवा दी है, लेकिन इसे मंजूरी मिलने और बसें खरीदने के प्रोसेस में कई माह का समय लग जाएगा। इससे पहले ही विभाग ने जालंधर के दोनों डिपूओं से संबंधित 23 बसों को परिचालन से हटाकर कंडम करार दे दिया है।

बसों को कंडम करने को लेकर विभाग द्वारा इजाजत दे दी गई है, जिसके चलते अब उक्त बसें पंजाब रोडवेज के नाम से फील्ड में नहीं दौड़ेगी। जिन बसों को कंडम करके आऊट आफ सर्विस किया गया है, उनमें जालंधर डिपो-1 की 13 जबकि डिपो-2 की 10 बसें शामिल है। विभाग को इन कंडम की गई बसों में 35 लाख से अधिक की राशि मिलने की उम्मीद है। यह एक अनुमानित इंकम है, इसमें राशि बढ़ भी सकती है। अधिकारी कहते है कि एक बस का डेढ़ लाख के करीब तो मिलना चाहिए।

विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए टैंडर कॉल किए जाएंगे।अधिकारियों ने बताया कि पंजाब रोडवेज द्वारा सरकार को भेजी गई प्रपोजल के मुताबिक जालंधर के लिए 50 बसों की सिफारिश की गई है। इस क्रम में विभाग को नई बसें आने का इंतजार रहेगा क्योंकि अब विभाग की 23 बसें आऊट आफ सर्विस हो गई है।

वहीं अधिकारियों का कहना है कि विभाग के पास बसों की कोई कमी नहीं है। समय-समय पर कई रूटों पर बसों की डिमांड बढ़ जाती है जबकि कई रूटों पर डिमांड कम होती रहती है इसके चलते विभाग के पास स्टैंड बॉय के रूप में बसें खड़ी रहती है। वहीं किसानों के आंदोलन के चलते दिल्ली रूट बंद पड़ा है। लॉकडाऊन के बाद से जे.एंड.के. सरकार द्वारा दूसरे राज्यों की बसों को अपने राज्य में बसों का प्रवेश नहीं दिया गया है। इसके चलते जम्मू जाने वाली बसों को दूसरे रूटों पर इस्तेमाल किया गया है।

पुरानी बसों को लंबे रूटों पर नहीं भेजता विभाग
वहीं, नई बसों को विभाग द्वारा अधिकत्तर लंबे रूटों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा यदि पंजाब के रूटों पर भी नई बसों को डाला जाता है तो अधिक लाभ वाले रूटों का चयन किया जाता है। अनुमान के मुताबिक जिस बस को लॉग रूट पर डाला जाता है उसे कुछ वर्ष बाद पंजाब के रूट पर डाल दिया जाता है। इस उपरांत जब बस के चलने की अविध खत्म होने वाली होती है तो अंतिम समय में बस को नजदीक के रूटों पर भेजा जाता है।

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