पंजाब सरकार की नीतियों पर भारी पड़ रही अफसरशाही

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Jun, 2017 10:23 AM

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राज्य के सरकारी स्कूलों में बतौर कम्प्यूटर अध्यापक अपनी सेवाएं निभा रहे 7 हजार अध्यापकों के लिए यह त्रासदी वाली ही बात

जलालाबाद(सेतिया, निखंज): राज्य के सरकारी स्कूलों में बतौर कम्प्यूटर अध्यापक अपनी सेवाएं निभा रहे 7 हजार अध्यापकों के लिए यह त्रासदी वाली ही बात है कि जिन मांगों को लेकर वे पिछली अकाली-भाजपा सरकार के समय निरंतर संघर्ष करते रहे उन्हीं मुश्किलों का सामना उन्हें नई सरकार के मौके भी करना पड़ रहा है। ये शब्द  कम्प्यूटर मास्टर यूनियन (सी.एम.यू.) पंजाब के प्रांतीय सीनियर उपाध्यक्ष प्रभजोत सिंह बल्ल ने कहे। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों पर अफसरशाही भारी पड़ती नजर आ रही है।

सरकार द्वारा बजट जारी परन्तु अधिकारियों ने रोका वेतन
यूनियन के प्रांतीय उपाध्यक्ष राजदीप सिंह मानसा ने कहा कि कई दिन पहले ही सरकार द्वारा कम्प्यूटर अध्यापकों के वेतन के लिए बजट जारी कर दिया गया था, परन्तु अधिकारियों द्वारा वेतन न जारी करने के मंतव्य के साथ वेतन/डी.डी.ओ. पावरों वाली फाइल पर हर दिन नया ऑब्जैक्शन लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 3 महीने में कागजी कार्रवाई पूरी न कर पाना संबंधित अधिकारियों की ढीली कार्यशैली और पक्षपात का प्रत्यक्ष प्रमाण है।  

इलाज के लिए भी नहीं हैं पैसे 
यूनियन के लीगल एडवाइजर राज सुरिन्द्र काहलों ने बताया कि राज्य के विभिन्न जिलों में कुछ ऐसे कम्प्यूटर अध्यापक हैं जो या तो खुद बीमार हैं या उनके परिवार का कोई सदस्य बीमार हैं। वेतन न मिलने के चलते वे इलाज करवाने में भी असमर्थ हैं। 
  

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