Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Dec, 2017 10:41 AM
निगम चुनावों के दौरान वार्ड नंबर 51 से अकाली दल की उम्मीदवार बलविंद्र कौर भाटिया को अकाली दल के 29 उम्मीदवारों में से सबसे कम वोट मिले। बलविंद्र कौर महज 76 वोट ही ले पाईं। इसका कारण रहा अकाली दल से टिकट न मिलने के कारण आजाद तौर पर खड़े हुए कुलदीप...
जालंधर(बुलंद): निगम चुनावों के दौरान वार्ड नंबर 51 से अकाली दल की उम्मीदवार बलविंद्र कौर भाटिया को अकाली दल के 29 उम्मीदवारों में से सबसे कम वोट मिले। बलविंद्र कौर महज 76 वोट ही ले पाईं। इसका कारण रहा अकाली दल से टिकट न मिलने के कारण आजाद तौर पर खड़े हुए कुलदीप सिंह ओबराय व अरविंद्र कौर ओबराय। वार्ड नं. 51 से किसी समय मजबूत स्थिति में दिख रहीं अकाली प्रत्याशी बलविंद्र कौर भाटिया के बेटे परमप्रीत सिंह विट्टी ने चुनावों से एक रात पहले ही अरविंद्र कौर ओबराय को समर्थन देकर उनके हक में बैठने का ऐलान कर दिया जिसका यह नतीजा निकला कि विट्टी और ओबराय के साथ चलने वाले दर्जनों परिवार रातों-रात कांग्रेस की ओर मूव कर गए और इसका सीधा फायदा कांग्रेसी उम्मीदवार को मिला।
इतना ही नहीं बलविंद्र कौर को अपने हक में बिठाने के बावजूद अरविंद्र कौर ओबराय कांग्रेसी प्रत्याशी से आधी वोटें भी नहीं ले पाईं। उधर वार्ड नंबर 50 से आजाद खड़े कुलदीप सिंह ओबराय की हालत भी पतली रही। उन्होंने न सिर्फवार्ड के भाजपा प्रत्याशी की बेड़ी में वट्टे डाले बल्कि खुद का आधार भी गंवा लिया। हालत यह रही कि कुलदीप ओबराय को वार्ड के एक आजाद उम्मीदवार से भी कम वोट पड़े। ओबराय को 268 वोट पड़े, जबकि आजाद उम्मीदवार हनी जिसका चुनाव निशान हीरा था को 423 वोट पड़े। यहां से भाजपा का उम्मीदवार भी 514 वोटों पर सिमट गया।
चुनावी नतीजों के बाद जहां सैंट्रल हलके के सारे अकाली परिवार बलविंद्र कौर भाटिया के बेटे विट्टी के ओबराय के हक में बैठने के कदम की निंदा करते दिखे, वहीं विट्टी को ऐसा करने के लिए मजबूर करने वाले भाजपा नेता मनोरंजन कालिया तथा अकाली नेता सर्बजीत मक्कड़ के खिालफ भी अकाली परिवारों में गुस्सा देखा गया। उधर चुनावी आंकड़ों से अकाली दल की खस्ता हुई दशा के बारे में यह भी पता चला कि पार्टी के 3 उम्मीदवार तो अपने-अपने वार्ड में तीसरे नंबर पर रहे। वार्ड 47 से सुरजीत कौर, वार्ड 51 से बलविंद्र कौर तथा वार्ड 59 से स्नेह लता तीसरे नंबर पर रहीं।