कैबिनेट ‘री-शफल’ के साथ होगा पंजाब भाजपा में बड़ा बदलाव

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Aug, 2017 04:57 PM

punjab bjp preparations for reshuffle

पंजाब भाजपा में जल्द ही बड़ा बदलाव होने जा रहा है जिसके लिए पार्टी ने अपने स्तर पर तैयारी आरंभ.....

जालंधर(पाहवा): पंजाब भाजपा में जल्द ही बड़ा बदलाव होने जा रहा है जिसके लिए पार्टी ने अपने स्तर पर तैयारी आरंभ कर दी है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद पर विजय सांपला को हटा कर नए नेता की ताजपोशी किए जाने की तैयारी भाजपा के अंदर चल रही है। 

सूत्रों का कहना है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की तरफ से 15 अगस्त के बाद एक बड़ा ‘री-शफल’ किया जा रहा है। उसी ‘री-शफल’ के तहत पंजाब भाजपा के अध्यक्ष पद पर भी बदलाव होगा। सूत्रों का कहना है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विजय सांपला से पार्टी हाईकमान ने केंद्रीय राज्य मंत्री का पद या प्रदेश अध्यक्ष का पद छोडऩे के लिए कहा है। सांपला ने प्रदेश अध्यक्ष का पद छोडऩे की सहमती दी है जिसके बाद पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नेताओं की तलाश तेज कर दी है। पार्टी के आगे चिंता यह है कि आखिर सांपला के समय में हुए नुक्सान का भरपाई कैसे होगी? 

जानकारी मिली है कि पार्टी को कुछ नाम सुझाए गए हैं जिनमें राकेश राठौर, जीवन गुप्ता, मंजीत सिंह राय व अश्वनी शर्मा शर्मा के नाम को लेकर चर्चा चल रही है। सूत्रों का कहना है कि चर्चा तो श्वेत मलिक, नरिंदर परमार इत्यादि के नाम को लेकर भी थी लेकिन अब यह नाम कुछ समय से विचाराधीन नहीं हैं। कमल शर्मा इस पद पर दोबारा आसीन होने से पहले ही इन्कार कर चुके हैं। वैसे भी पार्टी को अब इस समय में ऐसा नेता चाहिए जो वर्कर जो कि पार्टी से दरनिकार है, में नया उत्साह पैदा कर सके। हाल के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने विजय सांपला के नेतृत्व में चुुनाव लड़ा जिसमें भाजपा की वह दुर्गति हुई जो कभी नहीं हुई थी। इसका एक बड़ा कारण था कि राज्य में सांपला के अध्यक्ष बनने के बाद से पार्टी में गुटबाजी चरम सीमा पर पहुंच गई है। पार्टी के अध्यक्ष होने के नाते सांपला इस गुटबाजी को कम नहीं कर पाए। उल्टा उनके करीबी कुछ लोगों ने ही पार्टी को अपनी जागीर समझ लिया है जिसके कारण पार्टी का बंटाधार हो गया है। 

इन चार नेताओं के नाम पर विचार- 

मंजीत सिंह राय
सिख होने के कारण पार्टी में कुछ लोग मंजीत सिंह राय को अध्यक्ष बनाने पर विचार चल रहा है। विजय सांपला के साथ वह महासचिव पद पर हैं तथा उनके पक्ष में सांपला ने हाईकमान को काफी साकारात्मक रिपोर्ट दी है। जिसके कारण राय के नाम को लेकर चर्चा चल रही है।  पार्टी उन्हें कितना काबिल समझती है, यह तो पार्टी के फैसले पर निर्भर करता है। राज्य में भाजपा की आने वाले समय में क्या योजना है, उसे लेकर भी फैसला लिया जाएगा कि राय को अध्यक्ष बनाया जाता है या नहीं। 

राकेश राठौर
मौजूदा समय में पंजाब भाजपा में उपाध्यक्ष पद पर तैनात राकेश राठौर भी अध्यक्ष पद की सूची में शामिल हैं। मौजूदा अध्यक्ष विजय सांपला की तरफ से उन्हें वैसे इग्नोर किया जाता रहा है। राठौर इससे पहले कमल शर्मा के टैन्योर में महासचिव के पद पर रहे हैं। इससे पहले वह जालंधर नगर निगम में मेयर के पद पर भी रहे हैं। संगठन के तौर पर वह पार्टी को मजबूत कर सकते हैं या नहीं, यह तो पार्टी को अधिक बेहतर पता होगा जिसके आधार पर उनकी अध्यक्ष पद पर तैनाती को लेकर विचार हो सकता है। संघ व भाजपा में राठौर की अच्छी पकड़ है। 

जीवन गुप्ता
मौजूदा टैन्योर में महासचिव पद पर तैनात जीवन गुप्ता का नाम भी अध्यक्ष पद के दावेदारों की सूची में शामिल है। सांपला ने उन्हें पहले इस पद से दूर रखा था लेकिन हाईकमान के दखल के बाद जीवन गुप्ता को यह पद दिया गया। वैसे भी जीवन गुप्ता को लेकर कभी कोई विवाद नहीं रहा है तथा संगठन के तौर पर वह काफी गहरी पैठ रखते हैं। संघ व भाजपा में उन्हें पूरी तरह से स मान मिलता है। 

अश्वनी शर्मा
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पर अश्वनी शर्मा पहले भी रह चुके हैं। शर्मा के पक्ष में यह बात जा रही है कि उनके कार्यकाल में पार्टी में संगठन काफी मजबूत हुआ था। उनके समय में पार्टी ने चुनावों में भी बेहतर प्रदर्शन किया था। जबकि उनके खिलाफ यह चर्चा है कि वह भी गुटबाजी से पूरी तरह से उभर नहीं पाए थे। अगर वह दोबारा अध्यक्ष बनते हैं तो बिखरी पार्टी को कितना संभाल पाते हैं, यह देखना होगा। 

अब ‘इनका’ क्या होगा ?
पिछले कुछ समय से जब से पंजाब में विजय सांपला प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बने हैं, तब से कई उनके करीबी नेताओं की लाटरी लगी है। अब जब सांपला को हटाने की तैयारी चल रही है, तो ऐसे में इन नेताओं का क्या होगा, जो पार्टी व संगठन से ऊपर सांपला को मानते आए हैं। इनमें से कई नेताओं ने अहम पदों पर होते हुए मनमर्जी से लोगों को पार्टी में लिया तथा उन्हें बाहर निकाला है। ऐसे में जब सांपला का सीधा दखल खत्म हो जाएगा, तो इन नेताओं की क्या हालत होने वाली है, यह समय बताएगा। इनमें से की नेता तो ऐसे भी हैं जो अपने करीबी चेलों को पार्षद बनाने से लेकर मोर्चों में अहम पद देने के वायदे भी कर चुके हैं। 
 


 

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