स्कूल बंद करवाने से लोगों में रोष: सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ निकाली जा रही भड़ास

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Nov, 2017 03:29 PM

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नाड़ जलाने व धुंध के कारण पैदा हुए ‘स्मॉग’ से हो रहे हादसों को देखते हुए पंजाब सरकार द्वारा स्कूल बंद करने के लिए गए फैसले की जमकर आलोचना हो रही है। लोगों द्वारा स्कूलों में छुट्टियां करने के ऐलान के विरुद्ध सोशल मीडिया पर सरकार की जमकर आलोचना की जा...

बठिंडा (परमिंद्र): नाड़ जलाने व धुंध के कारण पैदा हुए ‘स्मॉग’ से हो रहे हादसों को देखते हुए पंजाब सरकार द्वारा स्कूल बंद करने के लिए गए फैसले की जमकर आलोचना हो रही है। लोगों द्वारा स्कूलों में छुट्टियां करने के ऐलान के विरुद्ध सोशल मीडिया पर सरकार की जमकर आलोचना की जा रही है। लोग इन लाइनों को जमकर शेयर कर रहे हैं कि, ‘उस मुल्क ने क्या खाक तरक्की करनी है जिसकी सरकारें नाड़ जलाना बंद करवाने की बजाय स्कूल बंद कर रही हैं।’

नाड़ जलाने वालों पर हो कार्रवाई
पर्यावरण प्रेमी गुरविंद्र शर्मा, राकेश नरूला व मनीष पांधी आदि ने कहा कि सरकार व प्रशासन की नाकामी है कि वह किसानों को नाड़ जलाने से रोकने में असमर्थ है। प्रदेश भर में प्रशासन को किसानों को जागरूक करना चाहिए ताकि वे नाड़ को आग लगाने से गुरेज करें। बेशक इस धुएं में कोहरा भी मिल गया है लेकिन अधिक समस्या नाड़ के धुएं के कारण ही पैदा हो रही है जिससे लगातार हादसे हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में कोई अच्छी कारगुजारी नहीं दिखा सकी जबकि स्कूलों को बंद करने का फैसला तुरंत ले लिया गया। बेशक स्कूलों को बंद करने का फैसला बच्चों की सेहत व हादसों को टालने के लिए किया गया है लेकिन अगर सरकार व प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी सही ढंग से निभाई होती तो स्कूल बंद करने की नौबत ही न आती। 

क्या कहते हैं किसान नेता
भाकियू लक्खोवाल के प्रांतीय सकत्तर जनरल रामकरन सिंह रामा ने कहा कि नाड़ को आग लगाने से होने वाले नुक्सान से वह भलिभांति अवगत हैं लेकिन नाड़ जलाना किसानों की बहुत बड़ी मजबूरी है। फसलों का उचित मूल्य उन्हें पहले ही नहीं मिल रहा। ऐसे में अधिकांश किसान नाड़ का निपटारा करने पर पैसा खर्च करने की हालत में नहीं हैं। नाड़ के धुएं के साथ धुंध भी मिल गई है जिस कारण हादसे हो रहे हैं, इसलिए सारा कसूर किसानों का नहीं है। एन.जी.टी. ने सरकार को नाड़ जलाने से रोकने तथा इसके निपटारे के लिए उचित मशीनरी या आर्थिक मदद देने के निर्देश दिए लेकिन पंजाब सरकार ने बिना किसानों को कोई सुविधा या विकल्प दिए ही सख्ती शुरू कर दी। 

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