Edited By Updated: 05 Nov, 2016 12:02 PM
दीपावली में पिछले वर्ष की तुलना में पटाखे कम चलने के बावजूद शहर के आसपास के गांवों एवं कस्बों में सुबह व शाम के समय धुआं-धुआं सा नजर आ रहा है।
होशियारपुर(अमरेन्द्र): दीपावली में पिछले वर्ष की तुलना में पटाखे कम चलने के बावजूद शहर के आसपास के गांवों एवं कस्बों में सुबह व शाम के समय धुआं-धुआं सा नजर आ रहा है।
कोई इसे कोहरे का नाम देकर सर्दी के आगमन के सूचक के तौर पर देख रहा है, तो कोई बादल छाए रहने से मौसम के मिजाज में आया बदलाव बता रहा है। वातावरण में दिखाई दे रही धुंधली चादर स्मॉक है। दीपावली पर पटाखों के अलावा खेतों में पराली को आग के हवाले करने की घटना से भी इन दिनों आसमान में धुएं के साथ-साथ विषैली गैसों का मिश्रण फैला हुआ है। कोहरे व धुएं के इसी मिश्रण से बनने वाले स्मॉक को स्वास्थ्य विशेषज्ञ श्वास रोगियों, शिशुओं व पचास साल से अधिक आयु वाले लोगों के लिए खतरनाक बता रहे हैं।
क्या होती है स्मॉक से परेशानी
दीपावली के समय पटाखों से आसमान में विषैली गैसों के छा जाने की वजह से स्मॉक का निर्माण कई तरह की विषैली गैसों व धूल मिट्टी के कणों से होता है। जब इन कणों के संपर्क में श्वास रोगी आते हैं, तो उन्हें श्वास प्रणाली में सूजन व रुकावट, गले में खराश व चुभन, दम घुटना, सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई बार तो रोगी को अस्थमा का अटैक भी आ जाता है।