Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Oct, 2017 09:00 AM
बिगड़ी अर्थव्यवस्था के बीच चारों तरफ से घिरी कांग्रेस सरकार को एक और मुसीबत घेरने जा रही है। पड़ोसी राज्य हरियाणा व चंडीगढ़ में पैट्रोल व डीजल पर वैट कम होने के बाद अब प्रदेश की कैप्टन सरकार पर भी वैट कम करने का दबाव बनने लगा है। अगर वैट में कमी की...
जालंधर(रविंदर शर्मा): बिगड़ी अर्थव्यवस्था के बीच चारों तरफ से घिरी कांग्रेस सरकार को एक और मुसीबत घेरने जा रही है। पड़ोसी राज्य हरियाणा व चंडीगढ़ में पैट्रोल व डीजल पर वैट कम होने के बाद अब प्रदेश की कैप्टन सरकार पर भी वैट कम करने का दबाव बनने लगा है। अगर वैट में कमी की गई तो इससे सरकार की आय पर और असर पड़ेगा और अगर नहीं किया तो कांग्रेस का वोट बैंक काफी खिसक सकता है।
गौर हो कि पंजाब में पैट्रोल व डीजल पर सबसे ज्यादा वैट की वसूली की जा रही है। ज्यादा वैट वसूलने से राज्य में पैट्रोल व डीजल के रेटों में काफी वृद्धि है। ऐसे में जी.एस.टी. के बाद भाजपा शासित काफी राज्य पैट्रोल व डीजल पर वैट कम कर चुके हैं। केंद्र सरकार पर भी लगातार पैट्रोल व डीजल को जी.एस.टी. के दायरे में लाने का दबाव बन रहा है।
संभावना है कि केंद्र सरकार 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले इसको लेकर फैसला ले सकती है। मगर उससे पहले राज्य सरकार पर वैट कम करने को लेकर काफी दबाव चल रहा है, क्योंकि कुछ दिन पहले ही चंडीगढ़ व हरियाणा में पैट्रोल व डीजल पर वैट कम किया गया है तो वहां की कीमतों में काफी कमी आई है।
मगर पंजाब में पैट्रोल व डीजल के रेट बेहद ज्यादा है। इसका असर हरियाणा व चंडीगढ़ के साथ लगती सीमा के पैट्रोल पंपों की सेल पर पड़ रहा है, क्योंकि यहां के ज्यादातर बशिंदे सस्ता पैट्रोल व डीजल हरियाणा व चंडीगढ़ से भरवा रहे हैं। जबकि पंजाब के पैट्रोल पंपों की सेल न के बराबर रह गई है। चारों तरफ से घिरी कैप्टन सरकार पर अब वैट कम करने का दबाव बढ़ता जा रहा है। अगर नगर निगम चुनावों से पहले सरकार ने वैट कम करने का फैसला न लिया तो उसके लिए दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं, क्योंकि भाजपा इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच जाने वाली है।