Edited By Tania pathak,Updated: 22 Jul, 2020 01:09 PM
मेडिकल विज्ञान में नाक से गले तक के हिस्से को किसी भी तरह 50 डिग्री सैंटीग्रेड तापमान पर गर्म नहीं किया जा सकता परन्तु इस प्राचीन यौगिक विधि के द्वारा यह भी संभव...
फिरोजपुर (भुल्लर, खुल्लर): कुछ सूत्र स्पष्ट करते हैं कि कोरोना 50 डिग्री सैंटीग्रेड तापमान को बर्दाश्त नहीं कर सकता और इतने तापमान में ख़त्म हो सकता है। मानवीय शरीर में यह नाक के रास्ते के द्वारा गले तक प्रवेश करता है और उसके बाद साँस नाली में दाख़िल होकर फेफड़ों को प्रभावित करता है। आज तक चाहे इस को ख़त्म करने या मानवीय शरीर पर इसका हमला रोकने या हमला होने के बाद मानवीय शरीर के इलाज के लिए कोई पुख़्ता प्रबंध नहीं हो सके परन्तु अगर योग की तरफ से करवाई जातीं क्रियायों पर अमल करके उन को शुरू किया जाये, तो इसका रास्ता रोका जा सकता है।
ये पिछले 20 साल से योग के साथ जुड़े कुलदीप सिंह भुल्लर ने करते कहा कि यदि नेति क्रिया के बाद 50 डिग्री सैंटीग्रेड तक गर्म किया पानी नाक के रास्ते किसी भी व्यक्ति को पिलाया जाये तो कोरोना के हमले दौरान लाभ मिल सकता है। उन्होंने बताया कि शायद मेडिकल विज्ञान में नाक से गले तक के हिस्से को किसी भी तरह 50 डिग्री सैंटीग्रेड तापमान पर गर्म नहीं किया जा सकता परन्तु इस प्राचीन यौगिक विधि के द्वारा यह भी संभव है। उन्होंने बताया कि कुछ बीमारियों के योगा के द्वारा किये जाने वाले इलाज दौरान नाक के रास्ते मरीज़ों को गर्म पानी पिलाया जाता है। इसी विधि को इस्तेमाल कर कर हम कोरोना से बच सकते हैं। यह क्रियायों किसी भी व्यक्ति को अपने स्तर पर नहीं करनीं चाहिए। किसी योगा आचार्य की रेखदेख में ही इन का मुकम्मल लाभ लिया जा सकता है।
वो खुद कई गंभीर बिमारियों जिन में भोजन की एलर्जी, दिल की इंजेक्शन फरैकशन का कम होना और चरम रोग शामिल थे। योग के साथ जुड़ने के बाद मेरे अनेकों मित्रों ने इस से लाभ लिया और शराब जैसे बुरे नशे को अलविदा भी कहा।