मंडियों में नहीं थम रही मटर उत्पादक किसानों की परेशानी

Edited By Updated: 02 Jan, 2017 01:26 PM

pea growers in trouble

होशियारपुर के मटर उत्पादक किसानों की समस्या थमने का नाम नहीं ले रही। पहले नोटबंदी की मार तो अब अन्य सब्जियों के साथ-साथ मटर के बम्पर उत्पादन ने भी यहां के किसानों को कर्जदार बना दिया है।

होशियारपुर (अमरेन्द्र): होशियारपुर के मटर उत्पादक किसानों की समस्या थमने का नाम नहीं ले रही। पहले नोटबंदी की मार तो अब अन्य सब्जियों के साथ-साथ मटर के बम्पर उत्पादन ने भी यहां के किसानों को कर्जदार बना दिया है। फसलों खासकर सब्जियों के खरीदार न मिलने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी है।खरीदारों के पास नकदी की कमी ही इस मार की देन है। होशियारपुर में इस साल बम्पर फसल हुई लेकिन नोटबंदी के चलते मंडी में न तो मटर का सही मूल्य मिल रहा है और न ही खरीदार मिल पा रहे हैं। खास बात यह है कि फसल का जो खरीद मूल्य मिल रहा है वह मटर की तुड़वाई से मामूली ज्यादा है। जो व्यापारी मटर खरीद रहे हैं वे मनमाने दाम लगा रहे हैं। स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां मटर की तुड़वाई के लिए किसानों को प्रति किलो 4 से 7 रुपए प्रति मजदूरों को देना पड़ रहे हैं, वहीं मंडी में इस फसल का खरीद मूल्य 5 से 7 रुपए प्रति किलो मिल रहा है। इससे किसानों को आर्थिक नुक्सान हो रहा है।

नोटबंदी ने कहीं का न छोड़ा
सब्जी मंडी में व्यापारी वर्ग औसतन 4 से 6 रुपए प्रति किलो भाव वाले मटर को आगे 6 से 8 रुपए प्रति किलो से भी अधिक दाम पर बेच रहे हैं। अपनी मनमानी की बात पर 
व्यापारी इतना कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं कि दूसरे राज्यों में फसल की मांग नहीं है।मंडी में भट्टियां ब्राह्मणां गांव के किसान मूलराज के साथ-साथ अन्य किसानों ने बताया कि नोटबंदी की मार ने हमें इस साल कहीं का नहीं छोड़ा है। उन्होंने बताया कि हजारों रुपए प्रति एकड़ खर्च कर उन्होंने मटर की फसल इसी चक्कर में बीजी थी कि वे फसली चक्कर से निकल सकें  लेकिन हुआ इसके विपरीत। फसल तो हुई लेकिन केंद्र सरकार की नोटबंदी के चलते सबकुछ धरा का धरा रह गया। जो व्यापारी बीते साल अधिक बोली लगाकर उनकी फसल खरीदते थे पर इस बार वे फसल खरीदने में आनाकानी कर रहे हैं।मटर की बिजाई से लेकर तुड़वाई व दवाइयों के अलावा अन्य खर्च मिलाकर 20 हजार प्रति एकड़ पर लागत आती है लेकिन उनकी लागत पूरा होना तो दूर की बात नुक्सान ही हो रहा है। यही कारण है कि उन्हें खेतों में खड़ी फसल पर हल चलाने को मजबूर होना पड़ा है।

क्या कहते हैं मटर के व्यापारी
सब्जी मंडी में मटर के खरीदार व्यापारियों के अनुसार इस बार मटर की बम्पर फसल होने के कारण ही फसल के भाव में भारी गिरावट आई है। जितनी जरूरत है उससे ज्यादा मटर मंडी में पहुंच रहा है और व्यापारी वर्ग अपने हिसाब से खरीद कर रहा है पर यह भी सच है कि नोटबंदी की वजह से बाहर से व्यापारी मटर खरीदने नहीं आ रहे।


 

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