Edited By Updated: 07 Nov, 2016 03:00 PM
पंजाब डायर्स एसोसिएशन (पी.डी.ए.) अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है। ऐसा वह पंजाब सरकार व प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा कॉमन ट्रीटमैंट प्लांट
लुधियाना (संदीप): पंजाब डायर्स एसोसिएशन (पी.डी.ए.) अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है। ऐसा वह पंजाब सरकार व प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा कॉमन ट्रीटमैंट प्लांट (सी.ई.टी.पी.) के लिए टैक्सटाइल मंत्रालय से मंजूर 100 करोड़ रुपए की सबसिडी को वापस करवाने के दबाव तले करवाए आवेदन के चलते करने जा रही है।
प्रदूषण विभाग के खिलाफ भड़के इंडस्ट्री विशेषज्ञ
हालांकि इस मामले में मंगलवार व बुधवार को आपातकालीन बैठक में पी.डी.ए. अपने अन्य पदाधिकारियों व सदस्यों की राय लेने के पश्चात अंतिम रणनीति तैयार करेगा। इंडस्ट्री विशेषज्ञों में सरकार व प्रदूषण विभाग के खिलाफ रोष है। उनका कहना है कि पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड हर फ्रंट पर इंडस्ट्री व उद्योग जगत की छवि को धूमिल करने व आरोप लगाने का कोई अवसर नहीं जाने देते। सज्जाई यह है कि सी.ई.टी.पी. प्लांट मामले में डाइंग इंडस्ट्री द्वारा हर शर्त को पूरा किया गया परंतु आखिरी कदम पर सरकार और प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड खुद ही बैकफुट पर चले गए। गौरतलब है कि पंजाब के मुख्यमंत्री बादल के तकनीकी सलाहकार रिटायर्ड मेजर जनरल वी.के. भट्ट एवं प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी बाबू राम ने ताजपुर व राहों रोड पर प्रस्तावित जीरो लिक्वड डिस्चार्ज (जैड.एल.डी.) 25 एम.एल.डी. सी.ई.टी.पी. प्लांट को जरूरी प्रोजैक्ट न होने की बात कहकर जैड.एल.डी. के बिना सामान्य नया सी.ई.टी.पी. प्लांट लगाने का तर्क देकर संस्था से प्रोजैक्ट को वापस लेने का आवेदन करवा दिया है।
97.5 करोड़ रुपए की सबसिडी की मिली मंजूरी
विशेषज्ञों के अनुसार पी.डी.ए. के पदाधिकारी वर्ष 2010 से इंडस्ट्री के लिए प्रस्तावित ताजपुर एवं राहों रोड और फोकल प्वाइंट के लिए 2 अलग-अलग ट्रीटमैंट प्लांट के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों व सरकारी तंत्र की राय लेते हुए इन प्रोजैक्टों पर कार्य कर रहे थे। इसमें ताजपुर रोड व राहों रोड पर लगभग 130 करोड़ रुपए की लागत से प्रस्तावित 25 एम.एल.डी. जैड.एल.डी. सी.ई.टी.पी. प्लांट की प्रोजैक्ट रिपोर्ट 50 लाख रुपए व डेढ़ साल की कड़ी मेहनत से तैयार किए गए इस प्लांट को केन्द्रीय टैक्सटाइल मंत्रालय से 97.5 करोड़ रुपए की सबसिडी की मंजूरी मिली। इसमें 65 करोड़ रुपए केन्द्र सरकार व 32.5 करोड़ रुपए राज्य सरकार की ओर से सबसिडी स्वरूप दिए जाने थे, जबकि 19.5 करोड़ रुपए इंडस्ट्री की ओर से लगाने के साथ-साथ बकाया राशि बैंक से ऋण स्वरूप लिए जाने का प्रावधान था।
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने लोन के लिए रखीं शर्तें
इंडस्ट्री की मांग पर मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को प्लांट के लिए संस्था द्वारा 14.5 करोड़ रुपए की राशि बैंक में जमा करवाने के प्रूफ देने पर बोर्ड से 5 करोड़ रुपए का ऋण दिलाने की भी मंजूरी दी थी, परंतु प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने पहले तो इस 5 करोड़ रुपए के लोन के लिए विभिन्न असम्भव शर्तें रखीं, जिसे जैसे-तैसे पी.डी.ए. के पदाधिकारियों ने पूरा किया तो बोर्ड ने पदाधिकारियों पर 5 करोड़ रुपए के बदले अपनी फैक्टरियां बोर्ड के पास गिरवी रखने की एक और शर्त रख दी। जब पदाधिकारियों ने यह शर्त भी पूरी कर दी तो 2 माह के टाल-मटोल के बाद डाइंग इंडस्ट्री के 25 एम.एल.डी. जैड.एल.डी. प्लांट को यह कहकर नामंजूर कर दिया गया कि डाइंग इंडस्ट्री के लिए जैड.एल.डी. जैसे हाईटैक प्लांट की जरूरत नहीं है। वहीं गत वर्ष इसी प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा फोकल प्वाइंट में चलाए जा रहे इलैक्ट्रोप्लेटिंग इंडस्ट्री के सी.ई.टी.पी. प्लांट को दबाव बनाकर जैड.एल.डी. टैक्नोलॉजी से अपग्रेड करवाया गया।