Edited By Updated: 24 Jan, 2017 12:05 PM
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह साफ कर दिया है
चंडीगढ़ः पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह साफ कर दिया है कि वास्तविक के स्थान पर सौतेले पिता का नाम अंकित कर पासपोर्ट जारी किया जा सकता है। पिता के कॉलम में वास्तविक पिता का नाम लिखना जरूरी नहीं है। मोहाली निवासी अरमान ने चंडीगढ़ क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी व एकल बेंच के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसके तहत दोनों ने उसके वास्तविक की जगह सौतेले पिता का नाम पासपोर्ट में दर्ज करने से इन्कार कर दिया था।
अरमान ने कोर्ट को बताया कि उसका जन्म साल 2000 में हुआ। उसके वास्तविक पिता नदीम अहमद थे। पिता-माता के बीच 2004 में तलाक हो गया, जिसके बाद मां ने मोहम्मद मंसूर से विवाह कर लिया। याचिकाकर्ता ने नया पासपोर्ट बनाने के लिए आवेदन किया, लेकिन चंडीगढ़ के पासपोर्ट अधिकारी ने पासपोर्ट में सौतेले पिता का नाम जोडऩे से इन्कार कर वास्तविक पिता का नाम लिखने को कहा।
याचिकाकर्ता का कहना था कि वास्तविक पिता से उसका कोई रिश्ता नहीं है और सौतेले पिता ही पालन पोषण कर रहे हैं। उसके राशन कार्ड, वोटर कार्ड, आधार कार्ड, पैन कार्ड और स्कूल सर्टिफिकेट में भी सौतेले पिता का नाम ही अंकित है। जब उसने पासपोर्ट के लिए आवेदन किया तो पासपोर्ट कार्यालय ने बनाने से इन्कार कर दिया।
याचिकाकर्ता ने कहा कि ऐसी शर्त लगाकर उसे परेशान किया जा रहा है। एकल बेंच ने भी उसकी मांग को खारिज करते हुए आर.पी.ओ. के आदेश को सही ठहराया था। इसी कारण उसने अब डिविजन बेंच में याचिका दायर की है। डिविजन बेंच ने एकल बेंच के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता जब चार वर्ष का था तब से सौतेला पिता ही उसकी देखभाल कर रहे हैं और लगभग सभी सरकारी दस्तावेजों पर यही नाम दर्ज है। ऐसे में पासपोर्ट कार्यालय ऐसी कोई शर्त नहीं लगा सकता। लिहाजा हाईकोर्ट ने पासपोर्ट कार्यालय को उसके सौतेले पिता के नाम से पासपोर्ट जारी करने का आदेश जारी किया।