Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Nov, 2017 10:52 AM
नोटबंदी की पहली वर्षगांठ को लेकर देश भर में बहस चल रही है परन्तु नोटबंदी के कारण उद्योगों के सामने गंभीर संकट पैदा हो चुका है जो अब भी चल रहा है। उद्योग जगत अभी तक नोटबंदी व जी.एस.टी. के सदमे से उभर नहीं सका है। छोटे कारोबारियों की हालत भी काफी खराब...
जालंधर (धवन): नोटबंदी की पहली वर्षगांठ को लेकर देश भर में बहस चल रही है परन्तु नोटबंदी के कारण उद्योगों के सामने गंभीर संकट पैदा हो चुका है जो अब भी चल रहा है। उद्योग जगत अभी तक नोटबंदी व जी.एस.टी. के सदमे से उभर नहीं सका है। छोटे कारोबारियों की हालत भी काफी खराब बताई जा रही है। इस संबंध में कुछ प्रमुख उद्यमियों के साथ बातचीत की गई जिनके विचार नोटबंदी को लेकर निम्रलिखित थे।
अनिश्चितता के भंवर में पूरी तरह से फंस चुका है उद्योग जगत: सुरेश शर्मा
एच.आर. इंटरनैशनल के डायरैक्टर व प्रमुख निर्यातक सुरेश शर्मा ने कहा है कि नोटबंदी को हुए चाहे एक वर्ष का समय हो चुका है परन्तु अभी तक कई व्यापारी व औद्योगिक इकाइयां इसके दुष्प्रभावों से बाहर नहीं निकल सकी हैं। नोटबंदी के बाद सरकार ने जी.एस.टी. लागू कर दिया। नोटबंदी तथा जी.एस.टी. के कारण अनिश्चितता का दौर लगातार गहराता जा रहा है तथा उद्योग जगत इस भंवर से बाहर नहीं निकल पा रहा है।सुरेश शर्मा ने कहा कि अभी पता नहीं कितने समय तक उद्योग जगत को और झटके सहने पड़ेंगे क्योंकि जो इकाइयां पहले दो नम्बर का कारोबार करती थीं वे अभी तक स्वयं को एक नंबर के कारोबार में परिवर्तित नहीं कर सकी हैं। बिलों को लेकर भी अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है। उन्होंने कहा कि जी.डी.पी. की दर भी नीचे आ रही है। एक्सपोर्टर्स का पैसा सरकार के पास फंसा हुआ है। इनपुट क्रैडिट का भुगतान निर्यातकों को नहीं किया जा रहा है। रिफंड नहीं मिलने से आगे कारोबार प्रभावित हो रहा है। केन्द्र सरकार को सबसे पहले अपने सिस्टम को ठीक करना होगा। सरकार के पास आई.टी. विशेषज्ञ हैं। सबसे पहले पोर्टल की खामियों को दूर किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अनिश्चितता को दूर किए बिना आगे बढ़ा नहीं जा सकता है।
नोटबंदी ने बेरोजगारी में बढ़ौतरी की: विनोद घई
यूनिक ग्रुप के चेयरमैन विनोद घई ने कहा है कि नोटबंदी ने देश में बेरोजगारी को बढ़ा दिया है। अनेक औद्योगिक इकाइयों में मजदूरों की छंटनी हुई है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी लागू होने के बाद सारा पैसा सफेद हो गया जिसके बाद लोगों की खरीदारी की शक्ति कम हो गई। उन्होंने कहा कि जब बाजार में उत्पादों की मांग ही नहीं होगी तो फिर फैक्टरियों में उत्पादन भी उसी अनुपात में उद्यमियों को घटाना पड़ा है। उत्पादन घटने से फैक्टरियों में मजदूरों की मांग में कमी आई जिसे देखते हुए बड़े व छोटे उद्योगों को मजदूरों की छंटनी करनी पड़ी। विनोद घई ने कहा कि जब तक नोटबंदी के असर से उद्योग जगत पूरी तरह से निकलता नहीं है तब तक अर्थव्यवस्था की रफ्तार में तेजी नहीं आ सकेगी। सरकार ने जी.एस.टी. को लागू कर दिया जिस कारण विकास की रफ्तार में और कमी आनी शुरू हो गई। उन्होंने कहा कि समय आ गया है जब सरकार को सबसे पहले जी.एस.टी. की खामियों को दूर करके व्यापारियों व उद्योग जगत का भरोसा जीतना चाहिए। उसके बाद ही बाजार में वस्तुओं व उत्पादों की मांग में बढ़ौतरी होगी। उन्होंने कहा कि नोटबंदी तथा जी.एस.टी. के बीच अधिक फासला नहीं था जिस कारण देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट आनी शुरू हो गई जो अब भी जारी है। अभी यह कहना मुश्किल है कि कब उद्योग जगत इस दलदल से बाहर निकल सकेगा। विनोद घई ने कहा कि देश को कैशलैस अर्थव्यवस्था में एक रात में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है। इसके लिए धीरे-धीरे सरकार को कदम उठाने चाहिए थे। उन्होंने कहा कि अब समय रहते अगर सरकार ने जी.एस.टी. की ऊंची दरों को कम न किया तथा व्यापार को संभालने की कोशिश न की तो बहुत देर हो जाएगी। एक बार विकास का चक्र सुस्त पड़ गया तो फिर उसमें नई जान फूंकनी बहुत मुश्किल हो जाएगी।