Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Sep, 2017 04:31 PM
विश्व के सबसे प्रदूषित 20 शहरों में औद्योगिक शहर लुधियाना का शुमार होना चाहे महानगर के माथे पर एक बड़ा कलंक है लेकिन नैशनल एयर क्वालिटी इंडैक्स के मुताबिक अमृतसर का एयर पॉल्यूशन स्तर लुधियाना से भी ऊंचा हो गया है।
लुधियाना(बहल): विश्व के सबसे प्रदूषित 20 शहरों में औद्योगिक शहर लुधियाना का शुमार होना चाहे महानगर के माथे पर एक बड़ा कलंक है लेकिन नैशनल एयर क्वालिटी इंडैक्स के मुताबिक अमृतसर का एयर पॉल्यूशन स्तर लुधियाना से भी ऊंचा हो गया है। 10 सितम्बर को लुधियाना का पॉल्यूशन इंडैक्स 83.40 आंका गया है, जबकि अमृतसर का यह आंकड़ा 91.04 स्तर पर आ गया है। लुधियाना का देश के 100 स्मार्ट सिटी में शुमार होने के बाद पॉल्यूशन रोकथाम विभाग का मुख्य फोकस महानगर के प्रदूषण स्तर को नियंत्रित करने पर हो गया है। इसके चलते एक बार रैड कैटेगरी में पहुंचने के कगार पर खड़े औद्योगिक शहर का अब एयर क्वालिटी इंडैक्स मॉडरेट कैटेगरी में आ गया है। लेकिन अभी इसमें सुधार की गुंजाइश है, ताकि यह सैटिसफैक्टरी कैटेगरी में आ जाए। वायु प्रदूषण में नैनो पार्टीकल होने के कारण भारत में पिछले 25 वर्षों में वर्ष 1990 से 2015 तक के आंकड़ों के मुताबिक मरने वालों की संख्या में 50 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज हुई है। इसी वजह से देशभर में वर्ष 2015 में 11 लाख लोगों ने अपनी जानें गंवाई। महानगर के लोगों की मांग है कि एयर क्वालिटी इंडैक्स कम से कम सैटीसफैक्टरी श्रेणी में अवश्य आ जाए।
वायु प्रदूषण फैलाने में 1 लाख से अधिक आटो रिक्शा जिम्मेदार
शहर में 1 लाख से भी अधिक आटो रिक्शा सड़कों पर दौड़ रहे हैं, जोकि पॉल्यूशन फैलाने में एक बड़ा कारण हैं, क्योंकि इनकी न तो प्रदूषण स्तर की रैगुलर जांच होती है और न ही सर्विस होती है। अगर प्रदूषण प्रमाण पत्र की बात करें तो शायद ही कुछ आटोज चालकों के पास ही यह उपलब्ध होगा।
नैशनल एयर क्वालिटी इंडैक्स में हैं कुल 6 श्रेणियां
पहली श्रेणी गुड्स कैटेगरी है, जिसमें स्वच्छ वायु के कारण मानव जीवन सर्वश्रेष्ठ आंका जाता है। दूसरी श्रेणी सैटिसफैक्टरी कैटेगरी है, जिसमें सांस लेने में हल्की परेशानी होती है और यह संवेदनशील लोगों को प्रभावित करती है। तीसरी मॉडरेट कैटेगरी है, जिसमें फेफड़े, अस्थमा, दिल के मरीजों को सांस लेने में तकलीफ होती है। चौथी पुअर कैटेगरी है, जिसमें अधिकतर लोगों को सांस लेने में काफी परेशानी होती है। 5वीं वैरी पुअर कैटेगरी है, जिसमें लोगों की दीर्घकाल तक सांस की गहरी तकलीफ रहती है। छठी श्रेणी सवीयर कैटेगरी है, जिसमें वायु प्रदूषण के उच्चतम स्तर के कारण लोगों को लाइलाज बीमारियों का सामना करना पड़ता है। यहां आश्चर्यजनक बात यह है कि नैशनल एयर क्वालिटी इंडैक्स में जयपुर का शुमार वैरी पुअर कैटेगरी में हुआ है, जबकि राजधानी दिल्ली तीसरी श्रेणी मॉडरेट में शामिल हो रही है।
सड़कों पर अवैध कब्जे बढ़ाते हैं प्रदूषण स्तर
महानगर के सभी व्यस्त इलाकों में सड़कों पर रेहड़ी-फड़ी समेत अन्य अवैध कब्जों के कारण लाखों की संख्या में सड़कों पर चलने वाले वाहनों को जगह नहीं मिलने से घंटों तक लंबे जाम लग जाते हैं और वाहन फिजा में जहरीला धुआं छोड़ते हैं, जोकि लोगों के स्वास्थ्य के लिए बेहद जानलेवा है। जी.टी. रोड पर साहनेवाल से शेरपुर तक सॢवस लेन में चलने वाले वाहनों को घंटों तक जाम में फंसे रहना पड़ता है। प्रशासन को इस समस्या पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
10 हजार से ऊपर इंडस्ट्री है प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के दायरे में
पॉल्यूशन रोकथाम विभाग के दायरे में महानगर की 10 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयां आती हैं, जिनमें 4000 के करीब रैड कैटेगरी में हैं। 1800 के करीब वायु प्रदूषण श्रेणी में हैं, जबकि 6000 के करीब यूनिट आरेंज और ग्रीन कैटेगरी में आते हैं।