Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Oct, 2017 12:52 PM
94 दिनों में शहर में एक के बाद एक 2 बड़ी हत्याओं ने शहर के लॉ एंड आर्डर की पोल खोलकर रख दी है जो शहर में पुलिस तंत्र के फेल होने की तरफ इशारा करती है। लुधियानवियों के मनों में दीवाली से 2 दिन पहले हुई वारदात के कारण खौफ है। पुलिस तंत्र के फेल होने...
लुधियाना(ऋषि): 94 दिनों में शहर में एक के बाद एक 2 बड़ी हत्याओं ने शहर के लॉ एंड आर्डर की पोल खोलकर रख दी है जो शहर में पुलिस तंत्र के फेल होने की तरफ इशारा करती है। लुधियानवियों के मनों में दीवाली से 2 दिन पहले हुई वारदात के कारण खौफ है। पुलिस तंत्र के फेल होने के पीछे का एक बड़ा कारण राजनीतिक दखलअंदाजी भी माना जा रहा है। पीरुबंदा मोहल्ले में चर्च के बाहर पास्टर सुल्तान के हत्यारों का पुलिस अभी तक कोई सुराग नहीं लगा पाई और आज कैलाश नगर में आर.एस.एस. नेता रविंद्र गोसाईं को दिन-दिहाड़े घर के बाहर गोलियां दाग गए। चाहे पुलिस की तरफ से शहर के प्रत्येक थाने में मुंह पर रूमाल बांधकर जाने वालों पर पर्चा दर्ज किया गया हो, लेकिन इस बार फिर हत्यारे नियमों को ताक पर रख मुंह पर रूमाल बांधकर आए और वारदात कर आराम से फरार हो गए।
इंवैस्टीगेशन सैल जुआ पकडऩे में व्यस्त
थाना प्रभारियों के अलावा शहर में बनाए गए इंवैस्टीगेशन सैलों की बात करें तो इंस्पैक्टर प्रेम सिंह के अलावा शायद ही कोई ऐसा आफिसर हो जिसने जमीन स्तर पर काम किया हो या किसी बड़े गैंगस्टर को पकड़ किसी बड़ी वारदात को रोका या बड़े केस हो हल किया हो। पुलिस विभाग के आंकड़े चैक करें तो इंवैस्टीगेशन सैल की तरफ से जुए और दड़े-सट्टे के पर्चे ही दर्ज किए गए हैं जबकि इंवैस्टीगेशन सैल बड़े क्राइम पर नकेल कसने के लिए बनाए जाते हैं।
बुकीज पकडऩे वाले ऑफिसरों की परीक्षा का समय
शहर में मैचों खिलाने वाले बुकीज या जुआ खिलाने व खेलने वालों को पकड़कर वाहवाही लूटने वाले पुलिस ऑफिसरों के लिए अब परीक्षा का समय है क्योंकि दुर्गा माता मंदिर के बाहर अमित शर्मा हत्याकांड, किदवई नगर आर.एस.एस. शाखा पर फायरिंग करने का प्रयास और इन दोनों केसों में पुलिस के हाथ कुछ भी नहीं लग पाया है। खुद को पंजाब पुलिस के जांबाज आफिसर बताने वालों के लिए अब परीक्षा का समय है, क्या वे किसी भी केस को हल कर पाते है या फिर हर बार की तरह इस बार भी चंद दिनों की जांच के बाद केस फाइलों में दब जाएगा।
नेताओं की दखलअंदाजी में पुलिस बेबस
शहर में लगातार हो रहे क्राइम व उसे डिटैक्ट न कर पाने के पीछे कहीं न कहीं नेताओं का पुलिस विभाग की कारगुजारी में दखलअंदाजी माना जा रहा है। इस बात की पुलिस में हमेशा ही दबी जुबां में चर्चा रहती है कि नेताओं के आशीर्वाद के बिना किसी की शहर में पोसिं्टग नहीं हो सकती। यही कारण है कि शहर का कप्तान भी अपनी मर्जी के काबिल आफिसरों को नियुक्त नहीं कर पाता और अपनी मर्जी से काम नहीं ले पाता।