Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Jan, 2018 12:08 PM
नगर निगम चुनाव कौन-कौन लड़ेगा, इसका फैसला औपचारिक तौर पर तो कांग्रेस हाईकमान द्वारा ही किया जाएगा, लेकिन अंदरखाते सांसद रवनीत बिट्टू ऐसी रणनीति बना रहे हैं कि अपने करीबियों को टिकटें देकर 2019 के लिए टीम तैयार की जा सके। नगर निगम चुनाव के लिए...
लुधियाना(हितेश): नगर निगम चुनाव कौन-कौन लड़ेगा, इसका फैसला औपचारिक तौर पर तो कांग्रेस हाईकमान द्वारा ही किया जाएगा, लेकिन अंदरखाते सांसद रवनीत बिट्टू ऐसी रणनीति बना रहे हैं कि अपने करीबियों को टिकटें देकर 2019 के लिए टीम तैयार की जा सके। नगर निगम चुनाव के लिए कांग्रेस के भीतर चल रही प्रक्रिया के तहत वैसे तो अभी फॉर्म बांटने की कार्रवाई चल रही है। इसके तहत 18 जनवरी तक टिकटों के लिए आवेदन लिए जाएंगे।
इसके बाद दावेदारों की स्क्रीनिंग का काम शुरू होगा, जिसके लिए कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर बाजवा की अध्यक्षता में कमेटी गठित की जा चुकी है। जिसमें एम.पी. बिट्टू के साथ जिला प्रधान को भी लिया गया है। हालांकि दावेदारों की फौज में से मजबूत उम्मीदवारों के नामों का पैनल बनाने की जिम्मेदारी अंदरखाते विधायकों व हलका इंचार्ज को सौंपी गई है लेकिन उस पर आखिरी फैसला हाईकमान ने ही लेना है। जिस कमेटी में मुख्य रूप से एम.पी. बिट्टू को भी शामिल करने के मद्देनजर टिकटों के दावेदार बड़ी संख्या में उनके दरबार में हाजिरी लगाने पहुंच रहे हैं। इनमें वो लोग तो शामिल हैं ही जिनको विधायक या हलका इंचार्ज द्वारा उम्मीदवार घोषित किया गया है, इसके अलावा उन लोगों ने भी बिट्टू की शरण ले ली है जो विधायक या हलका इंचार्ज से बागी होकर टिकटें मांग रहे हैं। इस दौर में बिट्टू के पास 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए अपनी टीम तैयार करने का मौका आ गया है। क्योंकि किसी भी चुनाव में पार्षद की अगुवाई वाली टीम ही ग्राऊंड लेवल पर सबसे ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाती है। इसके मद्देनजर बिट्टू अपने लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए अभी से करीबियों की टीम बनाने की रणनीति के तहत काम कर रहे हैं।
1 या 2 बार चुनाव हारने वालों को लेकर असमंजस में पाॢटयां
नगर निगम चुनावों के लिए कई ऐसे लोग टिकट मांग रहे हैं जो पहले पार्षद रह चुके हैं। लेकिन पिछली एक या लगातार 2 बार उनको हार का सामना करना पड़ा था। इसी तरह कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो कभी भी पार्षद नहीं रहे और पिछली एक या लगातार 2 बार जीते नहीं। जिनका कमजोर आधार या विरोध होने का हवाला देते हुए उन इलाकों में नए दावेदारों द्वारा टिकट मांगी जा रही है। इस बारे में फैसला लेने के लिए सियासी पार्टियों द्वारा अलग से रणनीति बनाई जा रही है, क्योंकि सभी पार्टियों द्वारा जीतने की क्षमता रखने वाले मजबूत उम्मीदवार उतारने के अलावा नए चेहरों को मौका देने की बात जो कही जा रही है।