नगर निगम में वेतन देने के लिए भी नहीं हैं फंड्स

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Oct, 2017 01:43 PM

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नगर निगम में वेतन, भत्ते और बिजली आदि के बिलों के भुगतान करने के लिए भी फंड्स नहीं हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार नगर निगम के खाते में 4.62 करोड़ रुपए बकाया है लेकिन वेतन का मासिक खर्च 5.50 करोड़, बिजली के पैंडिंग बिल 1 करोड़ रुपए और ठेकेदारों के...

बठिंडा (विजय): नगर निगम में वेतन, भत्ते और बिजली आदि के बिलों के भुगतान करने के लिए भी फंड्स नहीं हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार नगर निगम के खाते में 4.62 करोड़ रुपए बकाया है लेकिन वेतन का मासिक खर्च 5.50 करोड़, बिजली के पैंडिंग बिल 1 करोड़ रुपए और ठेकेदारों के पैंडिंग बिल 50 लाख हैं। एेसे में निगम को 2.38 करोड़ की और राशि की जरूरत पड़ेगी। इसके अलावा म्यूनिसिपल फंडों में से होने वाले विकास कार्य के लिए 8 करोड़ रुपए अन्य बकाया हैं। 
उन्होंने कहा कि वित्तमंत्री मनप्रीत बादल को चाहिए कि वह तुरंत सरकार से ग्रांट पास कराएें, ताकि शहर में विकास कार्यों को कराया जा सके। पहले सरकार वैट आदि के रूप में हर माह चार-पांच किस्तें भेजती थी। एक किस्त 1 करोड़ 5 लाख से ज्यादा की होती थी। इस तरह हर माह चार-पांच करोड़ रुपए सरकार से आ जाते थे। इस बार अक्तूबर माह में जी.एस.टी. के 1.97 करोड़ आए हैं, ाो सरकार ने हुडको के लोन की किस्त के रूप में काट लिए हैं। पिछले माह सितंबर में एक भी रुपए की राशि नहीं आई। 

क्या कहते हैं निगम के मेयर
मेयर बलवंत राय नाथ कहते हैं कि कांग्रेस सरकार बनने के बाद नगर निगम की हालत खस्ताहाल हो गई है। उन्होंने कहा कि नगर निगम की इंकम बढ़ाने के लिए सभी पार्षदों से सुझाव मांगे जा रहे हैं। अगर यही हालात रहे तो हमें टैक्स लगाने होंगे। गौरतलब है कि नगर निगम के पास इस समय म्यूनिसिपल फंड में 14.52 करोड़ रुपए का बकाया है। इसमें एसरो अकाऊंट में 3.02 करोड़ रुपए, काऊ सैस के तौर पर 3.50 करोड़ रुपए, कालोनियों के रैगुलाइजेशन चार्ज के रखे 3.38 करोड़, म्यूनिसिपल फंड कैश बुक बैलेंस 4.62 करोड़ हैं। इसे किसी भी हालत में निकाल नहीं सकते। काऊ सैस गौशालाओं के लिए हैं। कालोनियों की रैगुलाइजेशन चार्ज के लिए रखी राशि सरकार की अनुमति के बिना खर्च नहीं हो सकती।

इस तरह म्यूनिसिपल फंड कैश बुक बैलेंस 4.62 करोड़ बचता है, जो नकाफी है। नगर निगम की व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अब तत्काल प्रभाव से 2.50 करोड़ के लोन की जरूरत है। कालोनियों के रैगुलाइजेशन चार्ज के रखे 3.38 करोड़ रुपए में से सरकार की अनुमति लेकर 2.50 करोड़ की राशि निकाली जा सकती है। दूसरी ओर नगर निगम के सिर पर 105 करोड़ का हुडको लोन है। इसके अलावा पी.आई.डी.बी. लोन के तौर पर 76 करोड़ और सौ फीसदी सीवरेज और वाटर सप्लाई प्रोजैक्ट के लिए 183 करोड़ की देनदारी है। त्रैमासिक किस्त के रूप में लोन के लिए 3.50 करोड़ की राशि हुडको को देनी होती है, जिसमें 2.50 करोड़ मूल और एक करोड़ ब्याज होता है, निगम 7 करोड़ की राशि दे चुका है। 

क्या कहते हैं कांग्रेसी पार्षद गुट के नेता
कांग्रेसी पार्षद गुट के नेता पार्षद जगरूप सिंह गिल ने कहा कि नगर निगम को सारा प्रबंध चलाने के लिए अपने आप ही आय व खर्च के प्रबंध करने होते हैं। अगर नगर निगम के पास पैसा नहीं है तो उसके लिए पंजाब की कांगे्रस सरकार जिम्मेदार नहीं है बल्कि नगर निगम की नीतियां बनाने वाले लोग ही जिम्मेदार हैं। गिल ने कहा कि अगर शहर का विकास जारी रखना है व अन्य व्यवस्था बनाए रखनी है तो निगम की सत्ता पर काबिज अकाली-भाजपा को खुद ही ऐसी योजनाएं बनानी पड़ेंगी जिनसे निगम को अधिक आय हो सके व लोगों को जरूरी सुविधाएं मिल सकें। अगर ये लोग फंड्स व अन्य प्रबंध नहीं कर सकते तो ये कुर्सी छोड़ सकते हैं, सरकार अपने आप सभी प्रबंध कर लेगी।

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