Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Jan, 2018 09:34 AM
नगर निगम पटियाला के मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर, डिप्टी मेयर की नियुक्ति के दौरान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने अपने चिर-परिचित अंदाज में कैबिनेट मंत्री ब्रह्म महिंद्रा के पर काट दिए हैं। ब्रह्म महिंद्रा के समर्थक करीब 22 पार्षदों में से किसी भी...
जालंधर(चोपड़ा): नगर निगम पटियाला के मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर, डिप्टी मेयर की नियुक्ति के दौरान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने अपने चिर-परिचित अंदाज में कैबिनेट मंत्री ब्रह्म महिंद्रा के पर काट दिए हैं। ब्रह्म महिंद्रा के समर्थक करीब 22 पार्षदों में से किसी भी पार्षद को नगर निगम के तीनों उच्च पद पर एडजस्ट नहीं किया गया है। पुष्ट सूत्रों की मानें तो खनन मामले को लेकर विवादों में घिरे पूर्व कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत के इस्तीफे को लेकर कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने दिल्ली में ऑल इंडिया कांग्रेस के प्रधान राहुल गांधी से मीटिंग करने के लिए डेरा जमा रखा था।
कैप्टन अमरेन्द्र सिंह राहुल गांधी से मीटिंग के लिए समय नहीं ले पाए परंतु ब्रह्म मङ्क्षहद्रा ने अपने पारिवारिक सदस्यों के साथ एक दिन पहले राहुल गांधी से मुलाकात कर ली। सूत्रों के अनुसार इस मीटिंग में ब्रह्म मङ्क्षहद्रा ने राहुल के समक्ष अपने किसी समर्थक पार्षद को पटियाला नगर निगम का मेयर बनाने की सिफारिश की थी। राहुल गांधी के साथ ब्रह्म मङ्क्षहद्रा की तस्वीर सोशल मीडिया व समाचार पत्रों में छाई रही। कैप्टन लॉबी के अनुसार इस प्रकरण से कैप्टन अमरेन्द्र खासे नाराज हुए, जिसका खामियाजा आज ब्रह्म महिंद्रा टीम को भुगतना पड़ा। नगर निगम के मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर के चुनाव के दौरान कैबिनेट मंत्री को दरकिनार करके कैप्टन अमरेन्द्र ने अपने अंदाज में कैबिनेट मंत्री को दिखा दिया है कि उनसे हटकर किए गए कार्यों को वह कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।
चूंकि आज ब्रह्म महिंद्र पार्षद हाऊस की मीटिंग में मौजूद थे और लिफाफे में निकले तीनों नामों पर उन्होंने कोई किंतु-परंतु नहीं किया। चर्चा है कि ब्रह्म महिंद्रा ने अपने समर्थक पार्षदों की नजरअंदाजगी को संजीदगी से लिया है। अमृतसर में कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने तो खुलेआम कैप्टन के फैसले के खिलाफ मोर्चा खोला है। शायद ब्रह्म महिंद्रा भी जल्द ही सिद्धू की भांति इस मामले को लेकर खुलकर मैदान में आने का मूड बना रहे हैं। अगर अमृतसर के बाद कैप्टन अमरेन्द्र के गृह जिले में भी नगर निगम के फैसले को लेकर बवाल उठता है तो पंजाब कांग्रेस के लिए आने वाला समय बेहद पेचीदगियां से भरा साबित होगा।