कई सुविधाओं से वंचित है 2 विधानसभा क्षेत्रों के बीच लुढ़कता हरियाना

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Jul, 2017 02:05 PM

many facilities are deprived of the 2 assembly sloping areas between haryana

देश की आजादी के बाद भी स्वतंत्रता सेनानी पंडित जगत राम हरियानवी का ऐतिहासिक कस्बा हरियाना समय-समय की सरकारों की ओर से की गई घोर उपेक्षा व अनदेखी के चलते विकास नहीं विनाश की कहानी दर्शा रहा है, जिसकी मुंह बोलती तस्वीरें इसकी स्पष्ट प्रमाणिकता हैं।

हरियाना (आनंद): देश की आजादी के बाद भी स्वतंत्रता सेनानी पंडित जगत राम हरियानवी का ऐतिहासिक कस्बा हरियाना समय-समय की सरकारों की ओर से की गई घोर उपेक्षा व अनदेखी के चलते विकास नहीं विनाश की कहानी दर्शा रहा है, जिसकी मुंह बोलती तस्वीरें इसकी स्पष्ट प्रमाणिकता हैं। 

कस्बा हरियाना की यह त्रासदी ही रही कि कभी यह शहर विधानसभा क्षेत्र शामचौरासी तो कभी यह टांडा तो फिर कभी शामचौरासी अर्थात थाली के बैंगन की तरह लुढ़कता विकास की दृष्टि से हमेशा उपेक्षा का ही शिकार होता चला आ रहा है। 2 विधानसभा क्षेत्रों के अंतर्गत आने पर भी किसी भी नेता ने विकास के लिए इसका दामन नहीं पकड़ा। इसका प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न पार्टियों के राजनीतिक नेताओं की ओर से विकास करने के किए गए बड़े-बड़े दावे हवा ही सिद्ध हुए। ऐतिहासिक, पुरातन व स्वतंत्रता सेनानी के शहर को आज तक न ब्लॉक और न ही सब-तहसील का दर्जा हासिल हो सका है।     

भुंगा या होशियारपुर जाना पड़ता है स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए
14-15 हजार की आबादी वाले कस्बा हरियाना में अंग्रेजों के शासनकाल से चले आ रहे अस्पताल का तत्कालीन सरकार ने 1996 में पुननिर्माण करवाकर पंडित जगत राम मैमोरियल कम्युनिटी हैल्थ सैंटर के नाम पर अपग्रेड कर विशेषज्ञ डाक्टरों की तैनाती की, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि अकाली-भाजपा सरकार ने इसे डी-ग्रेड करके विशेषज्ञ डाक्टरों को स्थानांतरित कर इलाके के लोगों की स्वास्थ्य सुविधाएं छीन कर बड़ी भारी समस्या खड़ी कर दी, जिसका लोग आज भी संताप झेल रहे हैं। लोगों को भुंगा या फिर होशियारपुर में स्वास्थ्य सुविधाएं लेने के लिए शरण लेनी पड़ रही है। जहां अब केवल रोटेशन में डाक्टरों की तैनाती कर काम चलाया जा रहा है।   

बस स्टैंड तो क्या शैड की भी नहीं है सुविधा 
बस स्टैंड तो क्या हरियाना सहित दर्जनों गांवों के लोगों तथा बाहरी यात्रियों को सर्दी, गर्मी व बारिश के मौसम में सिर छुपाने के लिए शैड की भी व्यवस्था नहीं हो पाई। बस स्टैंड के निर्माण की घोषणा भी कागजों में ही सिमट कर रह गई है। पिछले कई वर्षों से बस स्टॉप पर बने शौचालय में फैली गंदगी बीमारियों के फैलाने के लिए सिद्ध हो रही है, जिसके चलते शौच जाने के लिए कोई साहस ही नहीं कर पाता।

अधूरी सड़कें,गंदगी से भरे पड़े हैं नाले
शहर में तमाम नालों की वर्षों से साफ-सफाई न होने के कारण गंदगी से लबालब भरे पड़े होने से बरसात के मौसम में रास्तों में खुलेआम बहते पानी से राहगीरों के लिए भारी परेशानी खड़ी हो जाती है। यही नहीं मुख्य सड़क के दोनों ओर बने नाले गंदगी से भरे होने के कारण पानी अब ऊपर से बहने लगा है। नालों में 3 फुट तक भरी गंदगी से उठ रही दुर्गंध वातावरण को प्रदूषित बनाने में निरंतर जुटी है। 

शहर में आधे-अधूरे बने मार्ग भी विकास नहीं विनाश की ही तस्वीर पेश कर रहे हैं तथा रास्तों में पड़े गड्ढों के कारण राहगीर ठोकरें खाने को विवश हैं। उबड़-खाबड़ बनी सड़कें भी लोगों के लिए किसी परेशानी से कम नहीं। शहर में अधर में लटका सीवरेज का काम भी लोगों के लिए आफत बन कर रह गया है, जिसके लिए गलियां व सड़कें गड्ढों में तबदील होकर रह गई हैं।

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