साइकिल उद्योग की समस्याओं के बीच राजनीतिक अखाड़ा बनी संस्थाएं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Jul, 2017 04:26 PM

ludhiana cycle association

पिछले कुछ वर्षों से साइकिल उद्योग भारी समस्याओं से जूझ रहा है और इस उद्योग की समस्याओं व निदान के लिए एशिया की सबसे बड़ी कही जाने वाली साइकिल संस्था यूनाइटेड साइकिल पार्ट्स एंड मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन (यू.सी.पी.एम.ए.

लुधियाना(नीरज): पिछले कुछ वर्षों से साइकिल उद्योग भारी समस्याओं से जूझ रहा है और इस उद्योग की समस्याओं व निदान के लिए एशिया की सबसे बड़ी कही जाने वाली साइकिल संस्था यूनाइटेड साइकिल पार्ट्स एंड मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन (यू.सी.पी.एम.ए.) का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो रहा है जिसमें संस्था साइकिल उद्योग की समस्याओं के निदान की बजाय राजनीति का अखाड़ा बन रही है।

यू.सी.पी.एम.ए. को हमेशा से छोटे उद्योगों की संस्था माना जाता रहा है पर पिछले कुछ वर्षों से बड़े पैमाने पर बड़े उद्योगपतियों व राजनीतिक दखलअंदाजी के कारण संस्था के काम-काज पर प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं और संस्था के विरुद्ध मैंबर ही मजबूर होकर अदालतों का रुख कर रहे हैं। इन सब का फायदा उठा कर कुछ लोगों ने अपनी अलग से संस्थाएं खड़ी कर दी है जोकि साइकिल उद्योग की आवाज न होकर एक निजी प्रा.लि. कम्पनियों की तरह काम कर रही हैं। पिछले चुनाव में संस्था के काम-काज पर बड़े प्रश्नचिन्ह लगाए गए व कुछ मैंबरों व पूर्व पदाधिकारियों ने संस्था की कार्यप्रणाली के विरुद्ध अदालतों का रुख किया।अदालत जाने वाले सदस्य अपने आरोपों को साबित नहीं कर सके लेकिन भारी मुकद्दमेबाजी व समय-समय पर संस्था के कामकाज पर अदालती रोक के कारण यह संस्था साइकिल उद्योग की बेहतरी के लिए काम कर पाने में असमर्थ रही। पिछले चुनावों में सर्वसम्मति के नाम पर कुछ बड़े उद्योगपतियों व राजनीतिक लोगों के कारण चुनावों में भारी धांधली के आरोप लगे जिससे कभी साइकिल उद्योग की आवाज होने वाली यू.सी.पी.एम.ए. मौन होकर रह गई। 

पिछले दिनों ही मैम्बरशिप फीस को 500 से 1000 करने, कुछ मैंबरों की सदस्यता निरस्त करने व मीटिंग में खुल कर बड़े उद्योगपतियों पर लगे आरोपों के बीच नए सिरे से इन फैसलों के विरुद्ध सदस्यों के द्वारा अदालतों का रुख करने की घोषणा की गई है जिससे आने वाले समय में भी यू.सी.पी.एम.ए. का कामकाज प्रभावित हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप भारी समस्याओं से जूझ रहे साइकिल उद्योग को भारी नुक्सान उठाना पड़ सकता है। इस समस्या से पैदा हुई कुछ निजी संस्थाओं द्वारा साइकिल उद्योग की बेहतरी के नाम पर संस्थाओं को निजी व्यापार की तरह चलाया जा रहा है।ज्ञात रहे की यू.सी.पी.एम.ए. जितनी कमजोर होगी उसका फायदा इन अन्य संस्थाओं को हो रहा है व साइकिल उद्योग के हितों की अनदेखी हो रही है। यू.सी.पी.एम.ए. के कामकाज को प्रभावित करने में इन संस्थाओं के लोगों का अहम योगदान रहा है। इस तरह की संस्थाएं एक मुख्य रूप से बड़े बड़े ग्रुप को प्रदर्शनी के नाम पर विदेशों में लेकर जाती हैं तथा सरकार से सबसिडी का फायदा उठाती हैं जिसमें की कोई पारदॢशता नहीं है। इन संस्थाओं पर बिजली के बिलों से लेकर, बीमा कम्पनी, ट्रैवल एजैंट, प्रदर्शनी एजैंट आदि कामकाजों के साथ-साथ सरकारी मंत्रियों व अफसरों तक पहुंच कर बड़े उद्योगपतियों के काम निकलवाने के आरोप लगते रहे हैं। इस तरह की संस्थाएं मैंबरशिप के नाम पर मोटी रकम वसूल कर रही हैं।
 

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