लौंगोवाल को पद संभालते समय करना पड़ा विरोध का सामना

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Dec, 2017 02:25 PM

longowal faced opposition while handling the post

एस.जी.पी.सी. के नवनियुक्त प्रधान गोबिंद सिंह लौंगोवाल को पद संभालते ही सिख संगठनों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनके अध्यक्ष पद की डगर कांटों से भरी दिखाई दे रही है।

अमृतसर (ममता): एस.जी.पी.सी. के नवनियुक्त प्रधान गोबिंद सिंह लौंगोवाल को पद संभालते ही सिख संगठनों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनके अध्यक्ष पद की डगर कांटों से भरी दिखाई दे रही है। 29 नवम्बर को पद संभालने के बाद अभी 3 दिन ही बीते तो एक ओर जहां उनकी नियुक्ति को राजनीति से प्रेरित करार दिया गया, वहीं दूसरी ओर उन पर गुरुद्वारे की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा करने के आरोप भी लगे।

सरबत खालसा के जत्थेदार अमरीक सिंह ने अपने गुरमति विद्यालय दमदमी टकसाल अजनाला में उनका पुतला फूंक, जहां उनसे इस्तीफा की मांग की गई, वहीं इस चुनाव को राजनीति से प्रेरित बताकर अवैध ढंग से थोपा गया, प्रधान करार दिया। इसके उपरांत पंथक नेता और लोक भलाई इंसाफ वैल्फेयर सोसायटी के प्रधान बलदेव सिंह सिरसा ने उन पर गुरुद्वारे की जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाया। 

अमरीक सिंह अजनाला ने अपने साथियों के साथ लोंगोवाल का पुतला फूंक प्रधान की नियुक्ति का विरोध किया और कहा कि विधानसभा चुनावों में जो 42 सिख नेता वोट मांगने डेरा सिरसा गए थे, उनमें लौंगोवाल का भी नाम है, उनको श्री अकाल तख्त साहिब पर तलब भी किया जा चुका है। उनका कहना है कि यह चुनाव बादल परिवार के कहने पर हुआ था और लौंगोवाल को भी उन्हीं के इशारे पर नियुक्त गया है। उन्होंने देश-विदेश की संगत से अपील की कि प्रधान का बायकाट करें। अजनाला ने इस चुनाव को असंवैधानिक करार देते हुए फिर से पारदर्शी ढंग से चुनाव कराने की भी मांग की है।

दूसरी प्रैस कांफै्रंस दौरान बलदेव सिंह सिरसा ने आरोप लगाया कि साल 2004 में विधायक रहते हुए लौंगोवाल ने भाई मनी सिंह शहीद के गुरुद्वारे (कैबोवाल) के नाम की 4 एकड़ जमीन, जिसे किसी दानी ने गुरुद्वारा साहिब के नाम करवाया था, को गुरुद्वारा चूल्हे (लोह लंगर) बाबा आला सिंह जो एस.जी.पी.सी. के अधीन है, की जमीन से बदलवाया था। उनका कहना है कि भाई मनी सिंह गुरुद्वारे वाली बेशकीमती जमीन गुरुद्वारा आला साहिब के पास है जबकि इस गुरुद्वारे की जमीन बंजर है। उनका कहना है कि दान की हुई जमीन को न तो बेचा जा सकता है और नहीं बदला जा सकता है। 

सिरसा ने बताया कि इस संबंध में भान सिंह भौरा नामक व्यक्ति द्वारा 30 नवम्बर 2005 को सिख गुरुद्वारा ज्यूडीशियल कोर्ट अमृतसर में याचिका दायर की गई थी और यह मामला सिख गुरुद्वारा ज्यूडीशियल कोर्ट में विचाराधीन है। हालांकि सिरसा जमीन और मामले के वर्तमान स्टेटस को बता पाने में असमर्थ रहे, लेकिन उनका कहना है कि लौंगोवाल को एस.जी.पी.सी. जैसी धार्मिक संस्था का प्रधान बनाया जाना गलत है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनको हटाया न गया तो वह कोर्ट का सहारा लेंगे।

लौंगोवाल के पक्ष में आए जत्थेदार
डेरा सिरसा से वोट मांगने पर श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से दी गई सजा भुगतने वाले एस.जी.पी.सी. के के अध्यक्ष बने गोबिंद सिंह लौंगोवाल के खिलाफ हो रही बयानबाजी को लेकर श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह अध्यक्ष लौंगोवाल के पक्ष में आगे आ गए हैं।

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