सन्नी देओल का अपनी चुनावी गतिविधियां पठानकोट की जगह गुरदासपुर से चलाना ‘मास्टर स्ट्रोक’ या ‘बलंडर मिस्टेक’!

Edited By Vatika,Updated: 11 May, 2019 09:28 AM

lok sabha election 2019

दिवंगत सिने अभिनेता विनोद खन्ना ने 1998 में राजनीति के क्षेत्र में पर्दापण के बाद 5 लोकसभा चुनाव लड़े थे तथा 4 बार इस बॉर्डर क्षेत्र गुरदासपुर हलके से सांसद रहे। खन्ना ने जब इस लोकसभा हलके को बतौर अपनी राजनीति पारी खेलने के लिए इसे कर्मभूमि के रूप...

पठानकोट(शारदा): दिवंगत सिने अभिनेता विनोद खन्ना ने 1998 में राजनीति के क्षेत्र में पर्दापण के बाद 5 लोकसभा चुनाव लड़े थे तथा 4 बार इस बॉर्डर क्षेत्र गुरदासपुर हलके से सांसद रहे। खन्ना ने जब इस लोकसभा हलके को बतौर अपनी राजनीति पारी खेलने के लिए इसे कर्मभूमि के रूप में चुना तो उन्हें इस संसदीय क्षेत्र की जनता ने हाथों-हाथ लेते हुए अपनी पलकों पर उठा लिया।
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जब तक सांसद खन्ना इस हलके से प्रतिनिधित्व करते रहे तब तक यह हलका भाजपा का मजबूत गढ़ बनकर कायम रहा। पांच चुनावों में महज एक ही बार उन्हें कांग्रेस से शिकस्त मिली। उनके निधन के बाद हुए उप-चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने फिर से सूबे की इस सरहदी सीट पर जीत दर्ज करते हुए अपना कब्जा जमा लिया।वहीं सूबे में वि.स. चुनावों के बाद सत्ता परिवर्तन व कांग्रेस के सत्तासीन होने के बाद हाशिए पर आई भाजपा ने अब जब इस संसदीय सीट से अपनी चुनावी नैया पार करने के लिए सिने स्टार सन्नी देओल को रणक्षेत्र में उतारा है तो उस समय भाजपा वर्करों की बाछें खिल गईं, परन्तु जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं, परिस्थितियां बदलती नजर आ रही हैं।

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भाजपा वर्करों के साथ आम जनता को उम्मीद थी कि सिने अभिनेता सन्नी देओल भी दिवंगत भाजपा सांसद विनोद खन्ना के पद्चिन्हों पर चलते हुए अपनी चुनावी कमान पठानकोट क्षेत्र से सम्भालेंगे तथा इस क्षेत्र में उनके लिए रिहायश भी ढूंढ ली गई व रंग-रोगन करके फर्नीचर आदि भी जुटा लिया गया परन्तु सन्नी के इस क्षेत्र में एक रात्रि भी न ठहरने से जहां पार्टी वर्कर निराश हैं, वहीं आम जनता का भी उत्साह ठंडा पड़ता जा रहा है। पार्टी वर्कर इस उधेड़बुन में हैं कि वे किसके लिए काम कर रहे हैं? दूसरी ओर दिवंगत खन्ना के समय स्याल हाऊस भाजपा की चुनावी गतिविधियों का बड़ा अड्डा बनता था तथा कई बार तो खन्ना वहीं ठहरते थे। जानकारों की मानें तो भाजपा उम्मीदवार सन्नी देओल अपना चुनावी प्रचार पठानकोट जिले से न चलाकर गुरदासपुर से संचालित कर रहे हैं तथा बीच-बीच अमृतसर के फाइव स्टार होटल में ठहरने की भी उनकी सूचनाएं हैं जबकि पठानकोट क्षेत्र को हिन्दू बहुल होने के कारण इसे आर.एस.एस. का गढ़ भी माना जाता है।

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पिछले लोकसभा चुनाव भाजपा हाईकमान व पार्टी प्रत्याशी इसी क्षेत्र से चलाते रहे हैं। भाजपा का यहां एक बड़ा कैडर है, जो पार्टी के प्रचार को गति देने में सहायक रहता है।पिछले उपचुनाव में कांग्रेस की आई आंधी के समय में भी जिला पठानकोट से कांग्रेस प्रत्याशी श्री जाखड़ को तीनों ही असैंबली सैगमैंट में से कुल 1 लाख 93 हजार में से महज 23 हजार ही लीड मिली थी। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी जाखड़ ने चुनावी प्रचार शुरू होते ही न केवल इस क्षेत्र में अपने लिए कोठी खरीद ली है बल्कि शहरदारों के साथ अपने घनिष्ठ संबंध भी बनाने शुरू कर दिए हैं। अगर जिला पठानकोट में उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी को दबा लिया तो फिर समूचे संसदीय हलके में भाजपा को लोहे के चने चबाने पड़ सकते हैं।अब सवाल यह है कि जब चुनावी प्रचार के लिए महज एक सप्ताह की ही समयावधि बची है तथा इस क्षेत्र में महज सन्नी का एक रोड शो, अमित शाह की एक जनसभा व एक-आध अन्य छोटी सभाएं हुई हैं। ऐसे में पठानकोट क्षेत्र की जगह भाजपा उम्मीदवार सन्नी देओल का अपनी चुनावी गतिविधियां गुरदासपुर से चलाना ‘मास्टर स्ट्रोक’ है या ‘ब्लंडर मिस्टेक, राजनीतिक पंडित इस यक्ष प्रश्र का उत्तर ढूंढने के लिए अभी इसे चुनावी समीकरणों के गहरे समुद्र में गोता लगाने में लग गए हैं। 

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